Sunday, December 28, 2008

"तेरा ना होना"


"तेरा ना होना"

तेरा ना होना
सर्पदंश सा विषैला
सांसे भरता
"जीवित "
एक अभिशाप

Friday, December 26, 2008

"तु जो मिल जाए"


"तु जो मिल जाए"

"कब से खोजूँ तुझे,
गलियों में औ चौराहों पर,
तू जो मिल जाए, तेरे शहर...
को अपना कह दूँ
रवाना हो चला है वक्त,
जनाज़े की तरह,
दे ज़रा वक़्त, के फिर से...
तुझे मिलना कह दूँ
मेरी जाँ याद तेरी,
आ के है तड़पाती बहुत,
तू जो ,मिलती है हक़ीक़त...
को मैं सपना कह दूँ

Thursday, December 4, 2008

'यह हमारा प्रण है !"

यह हमारा प्रण है !!
दिनेशराय द्विवेदी जी द्वारा प्रेरित

Wednesday, November 19, 2008

भरोसे से

"भरोसे से"

वक्त के जंगल के ये झंखाड़,
और वो झाड़ियाँ
साफ़ दिखने में ख़लल डालें,

जो बनकर गुत्थियाँ
चंद क़दमों पर नज़र आएँगे,

फिर से हम ज़रूर
बस भरोसे से हटाना है,
तुम्हें बेज़ारियाँ.........

(बेज़ारियाँ = विमुखता, क्रोध, नाख़ुशी)


Saturday, November 15, 2008

"नज़र "




"नज़र "
आग फैली इधर से उधर लग गयी,
मेरे घर पे किसी की नज़र लग गयी..
दिल में मायूसियों ने है घर लिया,
अब दुआ भी होने बेअसर लग गयी...



Tuesday, November 11, 2008

शीशा-ऐ-दिल

"शीशा-ऐ-दिल"

ये माना शीशा-ऐ-दिल ,

रौनके-बाज़ारे- उलफ़त है !

मगर जब टूट जाता है,

तो क़ीमत और होती है !!

Monday, October 6, 2008

इंतज़ार


"इंतज़ार"

"तुझको है इंतज़ार लफ्जों का,
हम तेरा इंतज़ार करते हैं
दिल पे एक बोझ सा हमारे है,
कह के कुछ अश्कबार करते हैं
लफ्ज़ पूरे कहाँ हैं कहने को,
हम तुझे इतना प्यार करते हैं
अब तखय्युल मैं तुम ही बसते हो,
हम जो बातें हज़ार करते हैं
तेरे होटों को है सलाम उनका,
हम तेरे लिए दुआ बेशुमार करते हैं
एक "मुलाकात " ही तो है बाकी,
हम बहुत इंतज़ार करते हैं "

http://vangmaypatrika.blogspot.com/2008/10/blog-post_06.html

Tuesday, September 30, 2008

"तेरी याद में"


"तेरी याद में"

तेरी ग़ज़लों को पढ़ रहा हूँ मैं ,
और तेरी याद में शिद्दत है बहुत
जैसे तुझसे ही मिल रहा हूँ मैं,
और तेरे प्यार में राहत है बहुत
वो तेरे वस्ल का दिन याद आया,
मुझ पे अल्लाह की रहमत है बहुत
तुझसे मिलने को तरसता हूँ मैं,
मेरी जान तुझ से मुहब्बत है बहुत
तेरे अंदाज़ में ख़ुद को देखा,
हाँ तुझे मेरी ही चाहत है बहुत

http://rachanakar.blogspot.com/2008/11/blog-post_25.html

Thursday, September 25, 2008

गम-ऐ-बेवफाई


"गम-ऐ-बेवफाई"

ज़ख्म हूँ रिसता रहूँगा ,
रग -ऐ -लहू मे उतर जाऊंगा,
गम-ऐ-बेवफाई से उपजा हूँ ,
ये ना सोच के भर जाऊंगा...

Saturday, September 20, 2008

"तेरी चाहत"



"तेरी चाहत"

तेरी हर अदा पे मुझे बस प्यार आता है,
जब मेरे साथ तू होती है करार आता है..
तेरी आँखें है सनम, या के हैं जाम-ऐ-शराब,
तेरी नज़रों को मैं देखूं तो खुमार आता है..
तू मेरे सामने है, ख्वाब हो , बेदारी हो,
अपनी बांहों में लिए तुझ को चला जाता हूँ..
तुझसे मिलने पे जो आजाए जुदाई का ख़याल,
दिल में तूफ़ान सा उठता ही चला जाता है..
तेरी चाहत की मेरे दिल में है हद कितनी,
कहाँ ग़ज़लों में या अल्फाज़ में कह पाता हूँ ..

Saturday, September 6, 2008

तुम्हारी याद है





"तुम्हारी याद है"


एक तरफ़ तुम हो तुम्हारी याद है,
दूसरी जानिब ये दुनिया है कोई बरबाद है,
तीसरी जानिब कोई मासूम सी फरियाद है .
वस्ल के लम्हों में भी तनहा रहे,
तुम को गुज़रे वक्त याद आते रहे,
तुम से मिल कर भी तो दिल नाशाद है ......
दर्द-ओ-गम की ताब जो न ला सके,
वो कहाँ दिल को कहीं बहला सके,
पास आकर भी तुम्हें ना पा सके,
इश्क में तेरे ये दिल बर्बाद है.......
एक तरफ़ तुम हो तुम्हारी याद है..............

http://vangmaypatrika.blogspot.com/2008/09/blog-post_2505.html

Wednesday, September 3, 2008

"अपलक"

"अपलक"


बिना झपकाए मैं,
अपलक देखूं,
तुम को देखने की,
अपनी ललक देखूं

Tuesday, August 26, 2008

मेरे पास





"मेरे पास"
रूह बेचैन है यूँ अब भी सनम मेरे पास,
तू अभी दूर है बस एक ही ग़म मेरे पास
रात दिन दिल से ये आवाज़ निकलती है के सुन
आ भी जा के है वक्त भी कम मेरे पास
तू जो आ जाए तो आ जाए मेरे दिल को करार,
दूर मुझसे है तू दुनिया के सितम मेरे पास
दिल में है मेरे उदासी, के है दुनिया में
कहकहे गूँज रहे आँख है नम मेरे पास"

Wednesday, August 13, 2008

मोहब्बत-या-रब




"मोहब्बत-या-रब"

हम ख़ुद अपनी तलाश में थे,

ज़बान पे कितने सवाल हैं अब ,

उन्ही सवालों की गर्दिशों मे,

न जाने कितने ख़याल हैं अब,

ना जाने क्यूं आत्मा छु गयी है ,

निगाह तुमने जो मुझपे डाली ,

जो दिल हमारा जगमगा गया है,

मोहब्बत-या-रब के कमाल हैं अब,

मेरी तरफ़ को जो आ रहे हैं,

उन रास्तों पर क़दम तो रखो ,

बिछा के रख देंगे रौशनी हम ,

तुम्हारे दानी मशाल हैं अब


Tuesday, August 12, 2008

इंतज़ार


"इंतज़ार"

अब भी उनके ख़त का हमें इंतज़ार रहता है,
अब भी दिल उनके लिए बेकरार रहता है
उनके कहने पर भी की उनको हम से नफरत है,
हम को न जाने क्यूँ उनसे ही प्यार रहता है

Saturday, August 9, 2008

आवारा

"आवारा"

मायूसियां थीं मेरे दिल में,
एक उदासी की तरह ,
जुस्तुजू में मैं तेरी,
होने लगा आवारा ;
चारा गर बन के,
तेरे प्यार ने हिम्मत बांधी,
राहबर हो के सियाह रात में,
तू ही है चमकता तारा ;
अब तेरी चाह में,
दिन रात रहा करता हूँ,
पहले यूँ रहा करता था
अब यूँ रहता हूँ आवारा

Thursday, August 7, 2008

सुखमय प्यार

"सुखमय प्यार "


कब से तुझे निहार रहा हूँ ,

चंचल सुंदर मुख मंडल ,

अपने से मैं हार रहा हूँ .....

यह वो ही तो दिन है

जब मैने मांग भरी तुम्हारी ,

गजरा ये सुख की बेला

मैं तब से तुम्हें पुकार रहा हूँ ,

आ जाओ अब चैन नहीं है

सुख देता दिन रैन नही है ,

जीवन सफल करो तुम आ कर

कह दूँगा साकार रहा हूँ ,

मैं तेरा जन्म जन्म का प्रेमी

तेरा सुखमय प्यार रहा हूँ ..."

Saturday, August 2, 2008

"जिदगी भर यही सोचता रह गया"












"जिदगी भर यही सोचता रह गया"

मुझसे मुंह मोड़ कर तुम को जाते हुए,
मूक दर्शक बना देखता रह गया ,
क्या मिला था तुम्हें दिल मेरा तोड़ कर,
जिंदगी भर यही सोचता रह गया ???

भूलने के लिये तुमको हम ने जतन,
क्या नहीं हैं किये ए जान-ऐ-मन,
उतने ही याद आये हो तुम रात दिन,
अपनी यादों से मैं जूझता रह गया???

रास्ता जब बनी रास्ते की गली,
मैं जो गुजरा कभी धडकने बढ़ गयी,
एक खिड़की खुली और तुम्हें देख कर,
मैं जहाँ पर खडा था खडा रह गया???

"जिदगी भर यही सोचता रह गया"






http://swargvibha.freezoka.com/kavita/all%20kavita/Seema%20Gupta/zindagi%20bhar%20yahe%20sochata%20rah%20gaya.htm (http://www.swargvibha.tk/)
http://www.sahityakunj.net/LEKHAK/S/SeemaGupta/zindgi_bhar_yahi_sochata_rah.htm