ये माना शीशा-ऐ-दिल , रौनके-बाज़ारे- उलफ़त है ! मगर जब टूट जाता है, तो क़ीमत और होती है !! नहीं सीमा कहीं कोई,यूं, टूटे दिल की उल्फतकी ! ये बंधन छूट जाता है, जो नीयत और होती है !!
Mohinder jee, sher maira hee hai, vo blog Firoj Ahmed jee alligarh ka hai unkee vangmaypatrika or ye blog hai jhan maire poems bhee publish hotee hain...is sher ke sath name maira hee hai unke blog pr aapke comment ke liye shukriya.... Regards
behtareen sher hai, mujhse iski taareef iski bayhurmati hogee. Ustaad shaayer is par kuch kahen to kahen , main to iske asar meinaakar shaayraana mood mein aa gaya hoon aur shaayad ek ghazal kahne ki khwahish josh mein aaye huyee hai .............abhi do sher haazir-e-khidmat hain, ummeed hai pasand aayengay:
muhabbat ka dilon mein josh khana bhi qayamat hai magar dil toot-taa hai to qayaamat aur hoti hai
hai dil ka dil se rishta bhi koyi dil ki tarah naazuk magar isko nibhane kee nazaakat aur hoti hai
वाह वाह सीमाजी क्या खू़बसूरती से पेश किया इस बेहतरीन शेर को. आहा ! आपकी जो असली कला है, वो है साहित्य के पानों में जवाहरात सजाने की. मेरे ख़याल से पढ़ने वालों को इस तफ़्तीश में पड़ने के बजाय, के शेर किसका है ? और क्यों है ? और यहाँ भी है ? तो वहां भी क्यों है ? और मेरी नज़र में अब तलक क्यों न आया ? वगैरह वगैरह, --- उसको पेश करने के अंदाज़ पर जाना चाहिए. दिल की इन हसीन तस्वीरों को देखिये ज़रा, शेर के एक एक क़तरे से कितने ख़लीक़ (शालीन) अंदाज़ से रब्त (वास्ता) रख रही हैं. क्या कहियेगा इसको जनाब मोहिंदर साहेब ? बतलाइए ज़रा. जीतेन्द्र जी, अनुपम जी, ताऊ जी, कौशिक जी, अमित वर्मा जी, राकेश जी, अनोनिमस जी, भूतनाथजी, मकरंद जी, विनय जी आदि से हम तो पूरी तरह सहमत हैं जी. इस बेहतरीन और बहुत हसीन पेशकश के लिए, आपके साथ साथ ब्लॉगजगत को भी बधाई.
हाँ भई बनी हुई चीजों की जीनत कुछ और होती है...... और टूटी हुई चीजों की कीमत कुछ और होती है.....!! मर-मर कर जीना तो बहुत ही आसान है ऐ दोस्त.... जिंदादिल लोगों की तो हिम्मत कुछ और होती है.....!! एक ही बार तो आता है आदम यहाँ धरती पर..... बनकर रहे आदम ही तो रिवायत कुछ होती है....!! हम गाफिल लोग ही रहते हैं आदतों के बाईस और फकीरों की तो हाजत ही कुछ और होती है...!! धारा के साथ जीने को तो सब जीते हैं "गाफिल" इसके ख़िलाफ़ वालों की ताकत कुछ और होती है.....!!
25 comments:
दर्द खुद-बखुद एक दास्तान बन जाती है, और इसका कीमत ही अधिक होती है।
ये माना शीशा-ऐ-दिल ,
रौनके-बाज़ारे- उलफ़त है !
मगर जब टूट जाता है,
तो क़ीमत और होती है !!
नहीं सीमा कहीं कोई,यूं,
टूटे दिल की उल्फतकी !
ये बंधन छूट जाता है,
जो नीयत और होती है !!
ये माना शीशा-ऐ-दिल ,
रौनके-बाज़ारे- उलफ़त है !
मगर जब टूट जाता है,
तो क़ीमत और होती है !!
लाजवाब ! तारीफ़ के लिए इससे बढ़ कर मेरे पास शब्द नही हैं !
it is realy a fine us of words n imaginations
सीमा जी,
शेर अच्छा है मगर यह किसका शेर है... डा शगुफ़्ता जी ने भी अपने ब्लोग पर आज यही डाला है...
Mohinder jee, sher maira hee hai, vo blog Firoj Ahmed jee alligarh ka hai unkee vangmaypatrika or ye blog hai jhan maire poems bhee publish hotee hain...is sher ke sath name maira hee hai unke blog pr aapke comment ke liye shukriya....
Regards
Bahoot Khoob Kaha (Wo Bhi, Bahoot Khoob Tareeke Se) u are beyond imagination...
amit
too good......not a word to say.....
Seema,
behtareen sher hai, mujhse iski taareef iski bayhurmati hogee. Ustaad shaayer is par kuch kahen to kahen , main to iske asar meinaakar shaayraana mood mein aa gaya hoon aur shaayad ek ghazal kahne ki khwahish josh mein aaye huyee hai .............abhi do sher haazir-e-khidmat hain, ummeed hai pasand aayengay:
muhabbat ka dilon mein josh khana bhi qayamat hai
magar dil toot-taa hai to qayaamat aur hoti hai
hai dil ka dil se rishta bhi koyi dil ki tarah naazuk
magar isko nibhane kee nazaakat aur hoti hai
बहुत बेहतरीन रचना ! बधाई !
bahut khubsurat sher
regards
बहुत सुन्दर, वाह-वाह्!
इतने सारे लोग बोल रहें है, अब हम भी क्यों ना कहें कि बहुत अच्छा लगा.
वाह वाह सीमाजी क्या खू़बसूरती से पेश किया इस बेहतरीन शेर को. आहा ! आपकी जो असली कला है, वो है साहित्य के पानों में जवाहरात सजाने की. मेरे ख़याल से पढ़ने वालों को इस तफ़्तीश में पड़ने के बजाय, के शेर किसका है ? और क्यों है ? और यहाँ भी है ? तो वहां भी क्यों है ? और मेरी नज़र में अब तलक क्यों न आया ? वगैरह वगैरह, --- उसको पेश करने के अंदाज़ पर जाना चाहिए. दिल की इन हसीन तस्वीरों को देखिये ज़रा, शेर के एक एक क़तरे से कितने ख़लीक़ (शालीन) अंदाज़ से रब्त (वास्ता) रख रही हैं. क्या कहियेगा इसको जनाब मोहिंदर साहेब ? बतलाइए ज़रा.
जीतेन्द्र जी, अनुपम जी, ताऊ जी, कौशिक जी, अमित वर्मा जी, राकेश जी, अनोनिमस जी, भूतनाथजी, मकरंद जी, विनय जी आदि से हम तो पूरी तरह सहमत हैं जी. इस बेहतरीन और बहुत हसीन पेशकश के लिए, आपके साथ साथ ब्लॉगजगत को भी बधाई.
सही है टूटने पर ही कीमत का अंदाजा होता है. सुन्दर!!
kisi chij ka bikhar jane par hi uske kimat ka asli pata chalta hai ... bahot khub likha hai aapne..badhai..
क्या बात है, सब ने इतनी तारीफ़ कर दी हम तो बस ्दुआ ही करे गे इस टुटे दिल के लिये.
बहुत ही सुन्दर,
धन्यवाद
बहुत सुंदर
आज फ़िर दिल तोड दिया आपने !! जोडो -जोडो कुछ तो जोडो-जोडो !! हा हा हा
bahut sundar Seema ..bahut sundar!
to keemat or hoti hai....
wah seema g wah....
nice mam
regards
bahut hi sunder rachna
dher sari badhiyan
हाँ भई बनी हुई चीजों की जीनत कुछ और होती है......
और टूटी हुई चीजों की कीमत कुछ और होती है.....!!
मर-मर कर जीना तो बहुत ही आसान है ऐ दोस्त....
जिंदादिल लोगों की तो हिम्मत कुछ और होती है.....!!
एक ही बार तो आता है आदम यहाँ धरती पर.....
बनकर रहे आदम ही तो रिवायत कुछ होती है....!!
हम गाफिल लोग ही रहते हैं आदतों के बाईस
और फकीरों की तो हाजत ही कुछ और होती है...!!
धारा के साथ जीने को तो सब जीते हैं "गाफिल"
इसके ख़िलाफ़ वालों की ताकत कुछ और होती है.....!!
wah ! laajawaab !!!!!!!!!!!
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