Wednesday, December 26, 2012

ना सियासतों के ये ज़ुल्म हों

ना सियासतों के ये ज़ुल्म हों ना रफाकतों में ही खोट हो 
ना बुराईयों का हिसाब हो ना ही नेकियों का शुमार हो 

"Na siyasatoN ke ye zulm hoN Na refaqatoN meN hi khot ho 
na buraiyoN ka hisab ho na hi nekiyoN ka shumaar ho "


Saturday, December 8, 2012

नज़्म "दिसम्बर बहता है "

"नज़्म "


"दिसम्बर बहता है " 
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दश्त-ए -दर्द के मंज़र 
खुश्क हवाओं के लश्कर 
ज़र्द पत्तों की आहट 
रगे लहू मौसम मौसम 
दिसम्बर बहता है .....
बिखरते हैं 
नर्म हथेलियों पे शबनम की तरह 
तुम्हारे लम्स के सराब 
दहकते हैं पलाश 
मेरे माज़ी में गये दिनों की तरह 
दिसम्बर रहता है ...........
शाम की शफक उदासी बैचेनी 
है वो कौन जो ढूँढता है मुझे 
अब भी तू नहीं , तब भी तू नहीं 
दिसम्बर कहता है ..........
बहती नदिया के उस पार 
खुश्क पत्ते , सराबोर रूहें 
इश्क की मुन्तजिर आँखों में 
अश्कों की तरह धीरे धीरे 
दिसम्बर बहता है ...........


"DECEMBER BEHTA HAI "
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Dasht-e-Dard ke manzar 
Khushk hawaon ke lashkar 
zard patton ki aahat

rag-e-laho mosam mosam
December behta hai .........
bikharte hain
narm hatheli pe shabnam ki tarah
tumhare lams ke saraab
dehakte hain palash
mere mazi mein gayay dino ki tarah
December rehta hai ................
shaam ki shafaq udasi bechaini
hai woh koun jo dhoondtha hai mujhay
Ab bhi tu nahee, tab bhi tu nahee........
December kehta hai.............
behti nadiya ke uos paar
kushk pattay sharaboor roohain
Ishq jo muntazir ankhon mein
ashkon ki tarah dhire dhire
December behta hai...............
....

Monday, December 3, 2012

नज़्म

नज़्म 
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जान - ए -जहां , है तेरा ही ख्याल ,
तु मेरा शोक़ कहाँ ....
तेरा ,शोक़ -ए -तमाशा हूँ मैं 
मेरे ज़ब्त का मुदावा है तु.... 
दश्त -ए -दिल में , उतर आई है 
फ़िराक के लम्हों की रोनक है तु ...
जलवा - ए - बेक़रारी है ,
निगाह गाफ़िल है तुझसे ,
तुझ में मुझ में खुलता है ,
मजबूर तकाज़ा लेकिन ,
यही फर्क है की तु मेरा है ,
और मेरा "मैं "है तुझसे .....
यूँ तेरी याद में ,लरजती है 
मेरी भीगी शबों की जलन ,
और ,याद की धड़कती नब्ज़ 
से वाबस्ता ...
हर याद है तुझसे....