Monday, August 2, 2010

दीवानगी

"दीवानगी"

ये मेरी दीवानगी ,
और उसकी संगदिली ,
रोज मिलने की सजा भी ,
और अदा हो बेदीली

Friday, June 18, 2010

"जूनून-ऐ-इश्क"




"जूनून-ऐ-इश्क "

जूनून की बात निकली है तो मेरी बात भी सुन लो,

जूनून-ऐ-इश्क सच्चा है तो फिर हारा नहीं करता


मुक़द्दस है जगह वो क्यूंकि घर माशूक का है वो,

कोई मजनूँ कभी भी अपना दिल मारा नहीं करता


तजस्सुस यह के वोह बोलेगा सच या झूट बोलेगा

जूनून में रह के कोई काम यह सारा नही करता


वो मजनू है और उसके दिल में ही है बसी लैला,

हर एक हूरे नज़र पर अपना दिल वारा नहीं करता


http://vangmaypatrika.blogspot.com/2008/09/blog-post_7453.html

Wednesday, February 24, 2010

"मुझे अपनाया है"




"तुम ने मुझे अपनाया है"
" और"
मेरी कायनात को .............
मेरी खुशी को गम को,
"और"
मेरी हयात को.......
अब तो खुशी से,
जीना भी आसान हो गया ....
"तुम ने"
जो अपना हाथ दिया मेरे हाथ को ".........

Sunday, January 10, 2010

"नयी"







"नयी"

"ज़िंदगी" हो तुम्हारे साथ नयी,
दिन नया हो हमारी रात नयी.....

पिछली बातों को भूल जाएँ हम,
जब भी हो बात सारी बात नयी.......

अब न आयें वो दिन गुज़र जो गए,
हर घड़ी हो तुम्हारे साथ नयी........

हम पुराने रिवाज ठुकरादें,
सारे रिश्तों की सारी जात नयी ........


आज बिछने दो ज़िंदगी की बिसात,
न शह हो जहाँ ना मात नयी.....

वो जो तुमसे है दिल लगा बैठा ,
तेरे घर लाएगा बारात नयी....

Friday, January 1, 2010

"यूँही बस













"यूँही बस "

तुम मुझ से बोलती रहीं ...चुप चाप यूँही बस,
जख्मो पे हाथ फेरती चुपचाप यूँ ही बस

क्यों लग रहा है दिल को तुम हो आसपास ही ,
आ जाओ मेरे सामने ... चुप चाप यूँ ही बस.

कुछ तो ज़रूर है जो हमे हो रहा है यूं,
तुम ही ज़रा बताओ ना ... चुप चाप यूँ ही बस.

तुमको भी क्या वही हुआ जो हमको हो गया,
खामोश इंकलाब सा ...चुप चाप यूँ ही बस.

अब तक कहाँ थी क्यों नहीं मुझको मिली कभी ,
मैं सोचता ही जा रहा ...चुप चाप यूँ ही बस.........