Thursday, July 31, 2008

"बातें "



"बातें"

तुम से कहनी हज़ार हैं बातें,
लफ्ज़ कुछ, मगर बेशुमार हैं बातें...
तुम जिगर में उतरती जाती हो,
जो लिखी हमने अश्कबार हैं बातें...
अब दूर तुमसे रहा भी नहीं जाता,
फिर वो ही पहलू -ऐ -यार हैं बातें...
राज-ऐ-दिल लिए भटकते हैं तुम बिन,
क्या करें इस कदर बेकरार हैं बातें...


http://www.sahityakunj.net/LEKHAK/S/SeemaGupta/baaten.htm

Wednesday, July 30, 2008

"अपनी कहानी"







"अपनी कहानी"

अपनी कहानी उसकी ज़ुबानी सुनता हूँ,
मेरी कहानी जग ने जानी सुनता हूँ;
सारे जगत में फैल गयी उसकी खूशबू,
महक रही है रात की रानी सुनता हूँ;
फिर दिल के टुकडे कर जायेगी
आएगी जब याद पुरानी सुनता हूँ;
और नही बस एक मोहब्बत का अरमां
बहुत बड़ा है उसका दानी सुनता हूँ
बहुत तलब है बहुत तड़प है ओर कसक ,
कोई नही है उसका सानी सुनता हूँ;
खाली खाली था जीवन पर तुमको पाकर
एक खुशी है एक हैरानी सुनता हूँ;
एक उदासी दिल पे थी जो मौत के जैसी
लेकिन अब जीने की ठानी सुनता हूँ;

Tuesday, July 29, 2008

"ऐसे ही"






"ऐसे ही"


ऐसे ही हम क़रीब नही आ गए होंगे,
रब ने ही यूं तकदीर बनाई हुई होगी...

ऐसे ही हम बाँहों मे समाये नही होंगे,
किस्मत ने वजह ज़रूर कोई पाई हुई होगी...

ऐसे ही हम ने अपनी बीती को बताया नही होगा,
हमदर्द बन के तुम जब तलक नही आयी हुई होगी...

ऐसे ही दिल की गहराईओं में तुम समाई नही होती,
कोई तो तेरी बात दिल को मेरे लुभाई हुई होगी....

ऐसे ही मेरे पास चली आओ तुम एक दिन,
वरना ये ज़िंदगी मेरी ऐसी ही गंवाई हुई होगी.........!



http://swargvibha.freezoka.com/gazal/all%20gazals/Seema%20Gupta/aise%20hi.htm (http://www.swargvibha.tk/)

Sunday, July 27, 2008

"प्यार बेशुमार लिखूं "









"प्यार बेशुमार लिखूं"

अपने खामोश तकल्लुम मैं ये इज़हार लिखूं,
हर जगह तेरे ही एक नाम की तकरार लिखूं...
एक हरकत भी कलम की हो तुझे प्यार लिखूं,
प्यार तू एक लिखे मैं तुझे सो बार लिखूं....

बेकरारी भरे दिल का तू ही है करार लिखूं,
अपनी इन तेज बदहवास धड़कनों की रफ़्तार लिखूं...
आज लाया हूँ तुझे दिल का ये उपहार लिखूं,
हाँ मिलन के है अब बहुत जल्द ये आसार लिखूं....

तेरी नज़रों ने जो उठाया है वो खुमार लिखूं ,
अपने हर लफ्ज़ से तुझे प्यार बेशुमार लिखूं...




Friday, July 25, 2008

"दर्द की गहराई में"







"दर्द की गहराई में"

"तुम मेरे साथ चलो"

दर्द की गहराई में ,

वो जो है सामने दिखता

"कोई"

तन्हाई में ,तन बचाता हुआ ,

सिकुडा हुआ 'डूब" जाता हुआ,

अफसोस में रुसवाई में..........






तुम्हें मालूम है "किसने" था,
किया काम उसका ,
किसको रोता है ,तड़पता ,
दिल -ऐ -नाकाम उसका ,
मुंह छुपाता हुआ , पछताता हुआ ,
क्योंकि अब नाम था बदनाम उसका....
"प्यार" की हार में,
सब हार गया था जैसे ,
हाथ से छुट के पतवार गया था जैसे ,
"सिर झुकाये है "
हर हुक्म बजा लाने को ,
अपनी ख्वाहिश को.........
सभी मार गया था जैसे "............





Thursday, July 17, 2008

"उस पार मिलूंगा"












"उस पार मिलूंगा"


पग प्रतीक प्रतिबिम्ब रहित हूँ,

उलका के उस पार मिलूंगा........

मन स्वतंत्र चंचल चितवन हूँ ,

गगन द्वीप जा बैठूंगा....

या फिर उस पथ पर,

जिस पर तुम शायद आओगे .....
प्रेम प्रतीक्षा के प्रसंग में यह पाओगे ,

आशा प्रकाश प्रज्ज्वलित नयन से,

राही भटका ---चलता हूँगा
क्या ???
"सोच रहा हूँ.........! "


Monday, July 14, 2008

"इल्जाम ले लो"


"इल्जाम ले लो"


ज़ब्त से कुछ काम ले लो,
ख़ुद पे यह इल्जाम ले लो...

जिसका डर था हो न जाए,
उसको अपने नाम ले लो .

कुछ नशा है उखडा उखडा,
आओ हम से जाम ले लो ...

गिर न जाएं देखना तुम ,
अपने हाथों थाम ले लो...

नाम मेरा क्या करोगी ,
आशिके बदनाम ले लो "