Sunday, December 28, 2008

"तेरा ना होना"


"तेरा ना होना"

तेरा ना होना
सर्पदंश सा विषैला
सांसे भरता
"जीवित "
एक अभिशाप

Friday, December 26, 2008

"तु जो मिल जाए"


"तु जो मिल जाए"

"कब से खोजूँ तुझे,
गलियों में औ चौराहों पर,
तू जो मिल जाए, तेरे शहर...
को अपना कह दूँ
रवाना हो चला है वक्त,
जनाज़े की तरह,
दे ज़रा वक़्त, के फिर से...
तुझे मिलना कह दूँ
मेरी जाँ याद तेरी,
आ के है तड़पाती बहुत,
तू जो ,मिलती है हक़ीक़त...
को मैं सपना कह दूँ

Thursday, December 4, 2008

'यह हमारा प्रण है !"

यह हमारा प्रण है !!
दिनेशराय द्विवेदी जी द्वारा प्रेरित