Sunday, January 10, 2010

"नयी"







"नयी"

"ज़िंदगी" हो तुम्हारे साथ नयी,
दिन नया हो हमारी रात नयी.....

पिछली बातों को भूल जाएँ हम,
जब भी हो बात सारी बात नयी.......

अब न आयें वो दिन गुज़र जो गए,
हर घड़ी हो तुम्हारे साथ नयी........

हम पुराने रिवाज ठुकरादें,
सारे रिश्तों की सारी जात नयी ........


आज बिछने दो ज़िंदगी की बिसात,
न शह हो जहाँ ना मात नयी.....

वो जो तुमसे है दिल लगा बैठा ,
तेरे घर लाएगा बारात नयी....

Friday, January 1, 2010

"यूँही बस













"यूँही बस "

तुम मुझ से बोलती रहीं ...चुप चाप यूँही बस,
जख्मो पे हाथ फेरती चुपचाप यूँ ही बस

क्यों लग रहा है दिल को तुम हो आसपास ही ,
आ जाओ मेरे सामने ... चुप चाप यूँ ही बस.

कुछ तो ज़रूर है जो हमे हो रहा है यूं,
तुम ही ज़रा बताओ ना ... चुप चाप यूँ ही बस.

तुमको भी क्या वही हुआ जो हमको हो गया,
खामोश इंकलाब सा ...चुप चाप यूँ ही बस.

अब तक कहाँ थी क्यों नहीं मुझको मिली कभी ,
मैं सोचता ही जा रहा ...चुप चाप यूँ ही बस.........