Wednesday, November 19, 2008

भरोसे से

"भरोसे से"

वक्त के जंगल के ये झंखाड़,
और वो झाड़ियाँ
साफ़ दिखने में ख़लल डालें,

जो बनकर गुत्थियाँ
चंद क़दमों पर नज़र आएँगे,

फिर से हम ज़रूर
बस भरोसे से हटाना है,
तुम्हें बेज़ारियाँ.........

(बेज़ारियाँ = विमुखता, क्रोध, नाख़ुशी)


33 comments:

ताऊ रामपुरिया said...

फिर से हम ज़रूर
बस भरोसे से हटाना है,
तुम्हें बेज़ारियाँ.........

वाह ! बहुत उत्कृष्ट रचना ! शुभकामनाएं !

Alpana Verma said...

बस भरोसे से हटाना है,
तुम्हें बेज़ारियाँ.........

-bejaariyan jarur duur hongi
-Achcha likha hai

P.N. Subramanian said...

"बस भरोसे से हटाना है" बहुत अच्छा लिखा है.
http://mallar.wordpress.com

भूतनाथ said...

बहुत लाजवाब !

Girish Kumar Billore said...

Ati sundar

ghughutibasuti said...

सुन्दर !
घुघूती बासूती

रंजू भाटिया said...

बहुत सुंदर बात कही आपने इस कविता के माध्यम से

गौतम राजऋषि said...

बहुत खूब मैम...बहुत खूब
क्या बात है--बस भरोसे से ह्टाना है..

Rakesh Kaushik said...

its really nice
the last line is the heart of the poem.




Rakesh Kaushik

मोहन वशिष्‍ठ said...

वक्त के जंगल के ये झंखाड़,

और वो झाड़ियाँ
साफ़ दिखने में ख़लल डालें,

जो बनकर गुत्थियाँ
चंद क़दमों पर नज़र आएँगे,

फिर से हम ज़रूर
बस भरोसे से हटाना है,
तुम्हें बेज़ारियाँ.........

lajwab rachana ke liye badhayi seema ji

दीपक "तिवारी साहब" said...

बहुत सुन्दरतम !

ताऊ रामपुरिया said...

बहुत सही लिखा आपने ! जिसको मछली की आँख दीख जाए , यानी लक्ष्य का पता हो तो विजय मिलना पक्का है ! बहुत शुभकामनाएं !

Vinay said...

बहुत सुन्दर!

mehek said...

waah sundar

योगेन्द्र मौदगिल said...

behtreen rachna
bhavon ki abhivyakti kamaal ki hai aapki
badhai

नीरज गोस्वामी said...

बेहतरीन भावों का जखीरा है आप के पास...बेमिसाल रचना ...हमेशा की तरह...
नीरज

राज भाटिय़ा said...

बहुत ही सुंदर
धन्यवाद

बवाल said...

आदरणीय सीमाजी,
ग़ज़ल की पेशकश बहुत ही दिलकश अंदाज़ में करती हैं आप. जितनी ख़ूबसूरत बात है उतना ही सुंदर तरीक़ा. मालिक आपको और नेमतें बख्शे इसी दुआ के साथ. आपका मुरीद-ए-आला.

परमजीत सिहँ बाली said...

बहुत बढिया रचना है।बधाइ स्वीकारे।

Anonymous said...

Seema,

hum hain woh hai pyaar hai,
Ek bharosa hee to hai;

hum ne likkha us ne jaana
pyaar hai,
Ek bharosa hee to hai;

waqt ke jungal mein ojhal hain zahoor,
phir milan ke phir bhi to aasar hain,
Ek bharosa hee to hai;

jamos jhalla said...

Seema ji Aapke haath kaunsi dictionery lagi hai jo aap aaye din dard ke naye se naye faces dikhaa rahi hain .Saabdik prastuti ke saath saath photo selection saraahniya hai .jhalle ki yehi pareshaani hai ki read kare ya see kare.Dono par hi wah wah .

tarun said...

nice blog,
keep writing.
Its full of art, poetry, photograph, presentation.

-tarun
http://tarun-world.blogspot.com

रविकांत पाण्डेय said...

बस भरोसे से हटाना है,
तुम्हें बेज़ारियाँ.........

बिल्कुल मन को छूती हुई रचना।

डा0 हेमंत कुमार ♠ Dr Hemant Kumar said...

Vah seemaji,
Itna decoreted blog dekhkar,apkee fluent language men komal bhavnaon kee abhivyakti padh kar bahoot achcha laga.Badhai.Kabhi mere blog par bhee padhariye.Shubhkamnaen.
Hemant Kumar.

डॉ. मनोज मिश्र said...

चंद क़दमों पर नज़र आएँगे,
फिर से हम ज़रूर..bhai vah.

kumar Dheeraj said...

आपने जो लिखा है उसका मै इस कदर दिवाना हूं कि लिखना मुश्किल है । आपकी लिखाव‍ट में कशिश है ,तन्हाई है साथ ही खामोशी भी है । इसी तरह लिखते रहिए । मेरे ब्लांग पर भी आए सीमाजी ।

पूनम श्रीवास्तव said...

Seemajee,
Apkee kavitayen,geet sabhee bahut hee saral,badhgamya,fluent bhasha men likhi gayee han.Mane apke donon hee blogs par apkee kritiyan padhee.sabhee dil ko chhoone vali han.Apko dil se mubarakbad de rahee hoon.
Mauka lage to mere blog par meree kavita padhen.
Poonam

Mukesh Garg said...

bahut sunder likha hai


badhiyan

admin said...

सुन्‍दर भाव, शानदार अभिव्‍यक्ति।

दिगम्बर नासवा said...

वाह बहुत खूबसूरत
आपका अंदाज निराला है

शुक्रिया ऐसी रचना के लिए

रश्मि प्रभा... said...

बहुत सही बहुत अच्छी......

राजीव थेपड़ा ( भूतनाथ ) said...

मैं क्या कहूँ....क्या लिखूं .....ये भी तो समझ नहीं आता.....!!

Anonymous said...

Awesome......