"तेरी याद में"
तेरी ग़ज़लों को पढ़ रहा हूँ मैं ,
और तेरी याद में शिद्दत है बहुत
जैसे तुझसे ही मिल रहा हूँ मैं,
जैसे तुझसे ही मिल रहा हूँ मैं,
और तेरे प्यार में राहत है बहुत
वो तेरे वस्ल का दिन याद आया,
वो तेरे वस्ल का दिन याद आया,
मुझ पे अल्लाह की रहमत है बहुत
तुझसे मिलने को तरसता हूँ मैं,
तुझसे मिलने को तरसता हूँ मैं,
मेरी जान तुझ से मुहब्बत है बहुत
तेरे अंदाज़ में ख़ुद को देखा,
तेरे अंदाज़ में ख़ुद को देखा,
हाँ तुझे मेरी ही चाहत है बहुत
http://rachanakar.blogspot.com/2008/11/blog-post_25.html
28 comments:
बहुत ही खूबसूरती के साथ लिखा है आपने......
सीमा जी गजब के शेर खूबसूरती के साथ . आपकी लेखनी में दिनोदिन निखार आ रहा है . बधाई .
सुन्दर ,हमेशा की तरह्।
हमेशा की तरह अति सुंदर !
beautiful and sublime !
तेरे अंदाज़ में ख़ुद को देखा,
हाँ तुझे मेरी ही चाहत है बहुत
regards
तेरी ग़ज़लों को पढ़ रहा हूँ मैं ,
अति सुन्दरतम ! शुभाकामनाएं !
बेहद खूबसूरत ! धन्यवाद !
लाजवाब !
तुझसे मिलने को तरसता हूँ मैं,
मेरी जान तुझ से मुहब्बत है bahut....wah wah.....very nice lines...
और तेरे प्यार में राहत है बहुत
वो तेरे वस्ल का दिन याद आया,
bahut khoob.....
बेहतरीन !
बहुत सुंदर !! अच्छी रचना के लिये बधाई
मुझ पे अल्लाह की रहमत है बहुत
तुझसे मिलने को तरसता हूँ मैं,
मेरी जान तुझ से मुहब्बत है बहुतने
बहुत ही खुबसूरती के साथ लिखा है आपने बहुत ही लाजवाव
बहुत खूब!!
नवरात्रि की हार्दिक मंगलकामनाऐं.
Bahut badiya.
तेरी ग़ज़लों को पढ़ रहा हूँ मैं ,
और तेरी याद में शिद्दत है बहुत
जैसे तुझसे ही मिल रहा हूँ मैं,
और तेरे प्यार में राहत है बहुत
....बहुत प्रभावी रचना ....सच में इसमें भी बहुत राहत मिल रही है ,हम भी आप की गजल को पढ़ कर ऐसा महसूस कर रहे है जैसे रचनाकार से रु-ब -रु मिल रहे हों,धन्यवाद इस अनुपम रचना के लिए
और तेरी याद में शिद्दत है बहुत
aur shiddat ye bhi ki
yaad suhaani hai bahut
हमेशा की तरह अति सुंदर !
धन्यवाद
बहुत संदर .
sundar bahut sundar hamesha ki trah balki pehle se or bhi jyada sundar.
Rakesh Kaushik
Kuchh kaha, kuchh na kaha/ har kisi ne, kisi ke pyar me// atmhanta tadapata raha, har dil dekho/ apne pyar to kabhi, pritam ke injar me// Regards for good writing and thanks for your compliments on my blog.
वो तेरे वस्ल का दिन याद आया,
मुझ पे अल्लाह की रहमत है बहुत
दिल को छू लेनेवाली रचना। मानव मन के कोमल भावों को सुंदर शब्द दिया है आपने। बधाई।
लिखते हो, क्या गजब लिखते हो, यकीन नही होता, इतनी गहराई कहाँ से पाते हो, कहाँ से शब्दों को उठाते हो, और कैसे बिखेर देते हो . . . . सचमुच बेमिसाल है।
आपकी पोस्ट पढ़ने में तो अच्छी है ही, देखने में भी बहुत अच्छी है।
तेरे अंदाज़ में ख़ुद को देखा,
हाँ तुझे मेरी ही चाहत है बहुत
Bahut Khub.
Vah Bahut Khub
beutiful
badhiya
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