Tuesday, September 30, 2008

"तेरी याद में"


"तेरी याद में"

तेरी ग़ज़लों को पढ़ रहा हूँ मैं ,
और तेरी याद में शिद्दत है बहुत
जैसे तुझसे ही मिल रहा हूँ मैं,
और तेरे प्यार में राहत है बहुत
वो तेरे वस्ल का दिन याद आया,
मुझ पे अल्लाह की रहमत है बहुत
तुझसे मिलने को तरसता हूँ मैं,
मेरी जान तुझ से मुहब्बत है बहुत
तेरे अंदाज़ में ख़ुद को देखा,
हाँ तुझे मेरी ही चाहत है बहुत

http://rachanakar.blogspot.com/2008/11/blog-post_25.html

28 comments:

vipinkizindagi said...

बहुत ही खूबसूरती के साथ लिखा है आपने......

समयचक्र said...

सीमा जी गजब के शेर खूबसूरती के साथ . आपकी लेखनी में दिनोदिन निखार आ रहा है . बधाई .

Anil Pusadkar said...

सुन्दर ,हमेशा की तरह्।

Satish Saxena said...

हमेशा की तरह अति सुंदर !

Arvind Mishra said...

beautiful and sublime !

makrand said...

तेरे अंदाज़ में ख़ुद को देखा,
हाँ तुझे मेरी ही चाहत है बहुत

regards

ताऊ रामपुरिया said...

तेरी ग़ज़लों को पढ़ रहा हूँ मैं ,

अति सुन्दरतम ! शुभाकामनाएं !

भूतनाथ said...

बेहद खूबसूरत ! धन्यवाद !

दीपक "तिवारी साहब" said...

लाजवाब !

Anonymous said...

तुझसे मिलने को तरसता हूँ मैं,
मेरी जान तुझ से मुहब्बत है bahut....wah wah.....very nice lines...

डॉ .अनुराग said...

और तेरे प्यार में राहत है बहुत
वो तेरे वस्ल का दिन याद आया,
bahut khoob.....

mamta said...

बेहतरीन !

दीपक said...

बहुत सुंदर !! अच्छी रचना के लिये बधाई

मोहन वशिष्‍ठ said...

मुझ पे अल्लाह की रहमत है बहुत
तुझसे मिलने को तरसता हूँ मैं,
मेरी जान तुझ से मुहब्बत है बहुतने

बहुत ही खुबसूरती के साथ लिखा है आपने बहुत ही लाजवाव

Udan Tashtari said...

बहुत खूब!!

नवरात्रि की हार्दिक मंगलकामनाऐं.

सचिन मिश्रा said...

Bahut badiya.

अभिन्न said...

तेरी ग़ज़लों को पढ़ रहा हूँ मैं ,
और तेरी याद में शिद्दत है बहुत
जैसे तुझसे ही मिल रहा हूँ मैं,
और तेरे प्यार में राहत है बहुत
....बहुत प्रभावी रचना ....सच में इसमें भी बहुत राहत मिल रही है ,हम भी आप की गजल को पढ़ कर ऐसा महसूस कर रहे है जैसे रचनाकार से रु-ब -रु मिल रहे हों,धन्यवाद इस अनुपम रचना के लिए

Anonymous said...

और तेरी याद में शिद्दत है बहुत

aur shiddat ye bhi ki
yaad suhaani hai bahut

राज भाटिय़ा said...

हमेशा की तरह अति सुंदर !
धन्यवाद

Asha Joglekar said...

बहुत संदर .

Rakesh Kaushik said...

sundar bahut sundar hamesha ki trah balki pehle se or bhi jyada sundar.


Rakesh Kaushik

आत्महंता आस्था said...

Kuchh kaha, kuchh na kaha/ har kisi ne, kisi ke pyar me// atmhanta tadapata raha, har dil dekho/ apne pyar to kabhi, pritam ke injar me// Regards for good writing and thanks for your compliments on my blog.

रविकांत पाण्डेय said...

वो तेरे वस्ल का दिन याद आया,
मुझ पे अल्लाह की रहमत है बहुत

दिल को छू लेनेवाली रचना। मानव मन के कोमल भावों को सुंदर शब्द दिया है आपने। बधाई।

कडुवासच said...

लिखते हो, क्या गजब लिखते हो, यकीन नही होता, इतनी गहराई कहाँ से पाते हो, कहाँ से शब्दों को उठाते हो, और कैसे बिखेर देते हो . . . . सचमुच बेमिसाल है।

वर्षा said...

आपकी पोस्ट पढ़ने में तो अच्छी है ही, देखने में भी बहुत अच्छी है।

Anonymous said...

तेरे अंदाज़ में ख़ुद को देखा,
हाँ तुझे मेरी ही चाहत है बहुत

Bahut Khub.

Anonymous said...

Vah Bahut Khub

Mukesh Garg said...

beutiful

badhiya