"तु जो मिल जाए"
"कब से खोजूँ तुझे,
गलियों में औ चौराहों पर,
तू जो मिल जाए, तेरे शहर...
को अपना कह दूँ
रवाना हो चला है वक्त,
जनाज़े की तरह,
दे ज़रा वक़्त, के फिर से...
तुझे मिलना कह दूँ
मेरी जाँ याद तेरी,
आ के है तड़पाती बहुत,
तू जो ,मिलती है हक़ीक़त...
को मैं सपना कह दूँ
59 comments:
खुब!!
तु जो मिलती है हकीकत है,
"की सपना कह दुं "
बेमिसाल ..सर्वोत्तम !
रामराम !
bahut sundar
"तु जो मिल जाए तो ...
इस शहर को अपना कह दुं"
सभी पंक्तिया प्यारी हैं. आभार.
बहुत सुंदर हमेशा की तरह
सम्पुर्ण रचना की एक एक लाईन लाजवाब है ! बहुत शुभकामनाएं !
bahut hi achhi hai......
बहुत खूब.........
सुंदर अभिव्यक्ति,
बधाई
सुंदर रचना बनाया है...बधाई।
जी सुन्दर रचना है...
एक सुझाव है... अपने चिट्ठे पर टेक्स्ट का कलर बदलें ... पीला या सफ़ेद काले बेगराऊंड में अधिक फ़वेगा
थोडे से कलर कम्बीनेशन फ़ेर बदल से आपका ब्लोग चमक उठेगा.... अन्यथा न लें
कब से ढूढा है तुझे ,
गलियों में चोराहों पर,
तु जो मिल जाए तो ...
इस शहर को अपना कह दुं,
...
बहुत शानदार!
ab ummede jyada hai aapse .....!
तु जो मिल जाए तो ...
इस शहर को अपना कह दुं
वाह! सुंदर पंक्तियाँ!
bahut hi sunder beutiful,
ब से ढूढा है तुझे ,
गलियों में चोराहों पर,
तु जो मिल जाए तो ...
इस शहर को अपना कह दुं,
जा रहा है ये रवां वक़्त
जनाजे जैसा....
दो ज़रा वक़्त के फिर से ,
तुम्हें मिलना कह दुं,
मेरी जान याद तेरी
आ के है तडपाती बहुत ...
तु जो मिलती है हकीकत है,
"की सपना कह दुं "
hamesha ki trha 1st no.
dhero badhiyan
बहुत बढ़िया, भई
---
चाँद, बादल, और शाम
http://prajapativinay.blogspot.com/
गुलाबी कोंपलें
http://www.vinayprajapati.co.cc
bahut sundar rachna
@ Mohinder Ji, thanks a lot for your suggestion, surely i will consider it. thanks once again'
regards
रवाना हो चला है वक्त,
जनाज़े की तरह,
यह है सीमा का अंदाजे बयाँ ! बहुत खूब .वाह !
तू जो मिल जाए, हक़ीक़त
को मैं सपना कह दूँ...
सुंदर रचना.....बधाई..
wah ji waah
wah..wah
applause
तू जो मिल जाए, हक़ीक़त...
को मैं सपना कह दूँ
बेहतरीन...हमेशा की तरह...
नीरज
"कब से खोजूँ तुझे,
गलियों में औ चौराहों पर,
तू जो मिल जाए, तेरे शहर...
को अपना कह दूँ
बहुत सुंदर बात कह दी इस गजल ने.
धन्यवाद
vakt ke rawaanaa ho jaane kaa dukh zanaane se bhee adhik peedaadaayak hai.
great reading indeed!
तु जो मिलती है हकीकत है,
"की सपना कह दुं "
सीमा जी
बहुत ही खूबसूरत है यह कविता, आप की कलम काफ़ी दिन बाद बोली, पर जब बोली, तो यकायक एक टक देखता रह गया. बहुत खूब विचार.
आप सब को नव वर्ष मंगलमय हो
हमेशा की तरह.......
(अल्फ़ाज़ों का टोटा है अब सीमा जी, आपकी तारीफ़ के लिए)
"..rvaana ho chlaa hai waqt jnaaze
ki tarah..."
dard ke gehre lamhoN ka sanjeeda
izhaar...aur bemisaal lehjaa !
Ek shaandaar rachna .
---MUFLIS---
dard ke samunder mein tairte hue shabd...
aur use dekhkar mai hoon nishabd ..
Seemaji,
Bahut hee bhav poorna kavita likhi hai apne.Badhai.
Poonam
तू जो मिल जाए, तेरे शहर...
को अपना कह दूँ...
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bahut hi sundar kavita hai Seema ji.
main ab kahun to kya kahun...sabne to vahi kah diya...jo asal men mujhe kahanaa tha...der se aata hun main hamesha....chalo kah deta hun acchi hai...magar itne se kaam kahan bana....jaao nahi kahata... jab shabd poore padenge...tab kahungaa....!!
bahut he acchi thi aapki rachna hamesha ki tarah...
प्रेम में पूर्ण समर्पण की अभिव्यक्ति ! साधुवाद.
मेरी जान याद तेरी
आ के है तडपाती बहुत ...
तु जो मिलती है हकीकत है,
"की सपना कह दुं "
really a perfect feeling for love which is always true
आपको तथा आपके पुरे परिवार को नव्रर्ष की मंगलकामनाएँ...साल के आखिरी ग़ज़ल पे आपकी दाद चाहूँगा .....
अर्श
...नव वर्ष तुम्हारा स्वागत है. आप सभी को सपरिवार नव-वर्ष पर हार्दिक शुभकामनायें !!
www.kkyadav.blogspot.com पर नव-वर्ष के स्वागत में कुछ भावाभिव्यक्तियाँ हैं, आप भी शरीक हों तो ख़ुशी होगी.
bhot accha likhti hain aap fir aaungi imtinan se padhne filhaal.....नव वर्ष की शुभ कामनायें...
आपके एवं आपके प्रियजनों को नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ।
कब से ढूढा है तुझे ,
गलियों में चोराहों पर,
तु जो मिल जाए तो ...
इस शहर को अपना कह दुं।
बहुत सुंदर पंक्तियॉं हैं, बधाई इस कविता की और नववर्ष की भी।
बहूत सुंदर
very touchy seemajee.your poetic expressions must also come in english translations.
नये साल की मुबारकबाद कुबूल फरमाऍं।
रवाना हो चला है वक्त,
जनाज़े की तरह,
दे ज़रा वक़्त, के फिर से...
तुझे मिलना कह दूँ
...अतिसुन्दर प्रस्तुति, साधुवाद !! मेरे ''यदुकुल'' पर आपका स्वागत है....
''स्वामी विवेकानंद जयंती'' और ''युवा दिवस'' पर ''युवा'' की तरफ से आप सभी शुभचिंतकों को बधाई. बस यूँ ही लेखनी को धार देकर अपनी रचनाशीलता में अभिवृद्धि करते रहें.
thought & reality reflects
kyaa baat kah dee aapne....vallaah.....!!
aapki sanvednayen dil me gehre tak utar jaati hai sanvedansheelta ki is intha ko kaise sahejti hain
खूबसूरत गीत, बधाई।
Husne mallika Seema Gupta ji ko Tau rampuriya ji 'TAJ'mubarak ho....!
बहुत अच्छी रचना है।
खूबसूरत ख्यालों की मधुरतम अभिव्यक्ति है यह कविता।
Ati sundar.
Ati sundar.
दे ज़रा वक़्त, के फिर से...
तुझे मिलना कह दूँ
......सचमुच कितनी कशिश है.
वैसे सीमा जी कमेंट्स देखकर तो लगता है कि पूरी दुनिया इधर ही उमड़ी आ रही है. आपका ब्लॉग वाकई काबिले तारीफ है....
dil se nikalte bhavon asar ka kahna hi kya.darta hoon kahin taareef jada n ho jaye.
Seema ji
Aap ki har kavita pyar ki ek paribhasha hai..
दे ज़रा वक़्त, के फिर से...
तुझे मिलना कह दूँ
I love deep feallings of this poem.
Regards
कब से खोजूँ तुझे,
गलियों में औ चौराहों पर,
तू जो मिल जाए, तेरे शहर...
को अपना कह दूँ
रवाना हो चला है वक्त,
जनाज़े की तरह,
क्या कहूं पूरी रचना में रोचकता ही रोचकता है । बधाई
बहुत ही सुन्दर अभिव्यक्ति सीमा जी
कहने को बहुत कुछ है लेकिन क्या कहू । आपने जो लिखा है बेमिसाल है धन्यवाद
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