Friday, December 26, 2008

"तु जो मिल जाए"


"तु जो मिल जाए"

"कब से खोजूँ तुझे,
गलियों में औ चौराहों पर,
तू जो मिल जाए, तेरे शहर...
को अपना कह दूँ
रवाना हो चला है वक्त,
जनाज़े की तरह,
दे ज़रा वक़्त, के फिर से...
तुझे मिलना कह दूँ
मेरी जाँ याद तेरी,
आ के है तड़पाती बहुत,
तू जो ,मिलती है हक़ीक़त...
को मैं सपना कह दूँ

59 comments:

Anonymous said...

खुब!!

ताऊ रामपुरिया said...

तु जो मिलती है हकीकत है,
"की सपना कह दुं "


बेमिसाल ..सर्वोत्तम !

रामराम !

Anonymous said...

bahut sundar

P.N. Subramanian said...

"तु जो मिल जाए तो ...
इस शहर को अपना कह दुं"
सभी पंक्तिया प्यारी हैं. आभार.

रंजू भाटिया said...

बहुत सुंदर हमेशा की तरह

दीपक "तिवारी साहब" said...

सम्पुर्ण रचना की एक एक लाईन लाजवाब है ! बहुत शुभकामनाएं !

रश्मि प्रभा... said...

bahut hi achhi hai......

anuradha srivastav said...

बहुत खूब.........

Anonymous said...

सुंदर अभिव्यक्ति,
बधाई

संगीता पुरी said...

सुंदर रचना बनाया है...बधाई।

Mohinder56 said...

जी सुन्दर रचना है...
एक सुझाव है... अपने चिट्ठे पर टेक्स्ट का कलर बदलें ... पीला या सफ़ेद काले बेगराऊंड में अधिक फ़वेगा
थोडे से कलर कम्बीनेशन फ़ेर बदल से आपका ब्लोग चमक उठेगा.... अन्यथा न लें

Shiv said...

कब से ढूढा है तुझे ,
गलियों में चोराहों पर,
तु जो मिल जाए तो ...
इस शहर को अपना कह दुं,

...

बहुत शानदार!

डॉ .अनुराग said...

ab ummede jyada hai aapse .....!

रविकांत पाण्डेय said...

तु जो मिल जाए तो ...
इस शहर को अपना कह दुं

वाह! सुंदर पंक्तियाँ!

Mukesh Garg said...

bahut hi sunder beutiful,


ब से ढूढा है तुझे ,
गलियों में चोराहों पर,
तु जो मिल जाए तो ...
इस शहर को अपना कह दुं,
जा रहा है ये रवां वक़्त
जनाजे जैसा....
दो ज़रा वक़्त के फिर से ,
तुम्हें मिलना कह दुं,
मेरी जान याद तेरी
आ के है तडपाती बहुत ...
तु जो मिलती है हकीकत है,
"की सपना कह दुं "

hamesha ki trha 1st no.

dhero badhiyan

Vinay said...

बहुत बढ़िया, भई

---
चाँद, बादल, और शाम
http://prajapativinay.blogspot.com/

गुलाबी कोंपलें
http://www.vinayprajapati.co.cc

vipinkizindagi said...

bahut sundar rachna

seema gupta said...

@ Mohinder Ji, thanks a lot for your suggestion, surely i will consider it. thanks once again'

regards

Arvind Mishra said...

रवाना हो चला है वक्त,
जनाज़े की तरह,
यह है सीमा का अंदाजे बयाँ ! बहुत खूब .वाह !

महेंद्र मिश्र.... said...

तू जो मिल जाए, हक़ीक़त
को मैं सपना कह दूँ...
सुंदर रचना.....बधाई..

Birds Watching Group said...

wah ji waah

wah..wah

applause

नीरज गोस्वामी said...

तू जो मिल जाए, हक़ीक़त...
को मैं सपना कह दूँ
बेहतरीन...हमेशा की तरह...
नीरज

राज भाटिय़ा said...

"कब से खोजूँ तुझे,
गलियों में औ चौराहों पर,
तू जो मिल जाए, तेरे शहर...
को अपना कह दूँ
बहुत सुंदर बात कह दी इस गजल ने.
धन्यवाद

दिलीप कवठेकर said...

vakt ke rawaanaa ho jaane kaa dukh zanaane se bhee adhik peedaadaayak hai.

great reading indeed!

दिगम्बर नासवा said...

तु जो मिलती है हकीकत है,
"की सपना कह दुं "

सीमा जी
बहुत ही खूबसूरत है यह कविता, आप की कलम काफ़ी दिन बाद बोली, पर जब बोली, तो यकायक एक टक देखता रह गया. बहुत खूब विचार.

आप सब को नव वर्ष मंगलमय हो

बवाल said...

हमेशा की तरह.......


(अल्फ़ाज़ों का टोटा है अब सीमा जी, आपकी तारीफ़ के लिए)

daanish said...

"..rvaana ho chlaa hai waqt jnaaze
ki tarah..."
dard ke gehre lamhoN ka sanjeeda
izhaar...aur bemisaal lehjaa !
Ek shaandaar rachna .
---MUFLIS---

अनुपम अग्रवाल said...

dard ke samunder mein tairte hue shabd...
aur use dekhkar mai hoon nishabd ..

पूनम श्रीवास्तव said...

Seemaji,
Bahut hee bhav poorna kavita likhi hai apne.Badhai.
Poonam

Alpana Verma said...

तू जो मिल जाए, तेरे शहर...
को अपना कह दूँ...
----------

bahut hi sundar kavita hai Seema ji.

राजीव थेपड़ा ( भूतनाथ ) said...

main ab kahun to kya kahun...sabne to vahi kah diya...jo asal men mujhe kahanaa tha...der se aata hun main hamesha....chalo kah deta hun acchi hai...magar itne se kaam kahan bana....jaao nahi kahata... jab shabd poore padenge...tab kahungaa....!!

Unknown said...

bahut he acchi thi aapki rachna hamesha ki tarah...

Anonymous said...

प्रेम में पूर्ण समर्पण की अभिव्यक्ति ! साधुवाद.

अभिन्न said...

मेरी जान याद तेरी
आ के है तडपाती बहुत ...
तु जो मिलती है हकीकत है,
"की सपना कह दुं "
really a perfect feeling for love which is always true

"अर्श" said...

आपको तथा आपके पुरे परिवार को नव्रर्ष की मंगलकामनाएँ...साल के आखिरी ग़ज़ल पे आपकी दाद चाहूँगा .....

अर्श

KK Yadav said...

...नव वर्ष तुम्हारा स्वागत है. आप सभी को सपरिवार नव-वर्ष पर हार्दिक शुभकामनायें !!
www.kkyadav.blogspot.com पर नव-वर्ष के स्वागत में कुछ भावाभिव्यक्तियाँ हैं, आप भी शरीक हों तो ख़ुशी होगी.

हरकीरत ' हीर' said...

bhot accha likhti hain aap fir aaungi imtinan se padhne filhaal.....नव वर्ष की शुभ कामनायें...

रविकांत पाण्डेय said...

आपके एवं आपके प्रियजनों को नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ।

admin said...

कब से ढूढा है तुझे ,
गलियों में चोराहों पर,
तु जो मिल जाए तो ...
इस शहर को अपना कह दुं।


बहुत सुंदर पंक्तियॉं हैं, बधाई इस कविता की और नववर्ष की भी।

आशीष कुमार 'अंशु' said...

बहूत सुंदर

Unknown said...

very touchy seemajee.your poetic expressions must also come in english translations.

Arshia Ali said...

नये साल की मुबारकबाद कुबूल फरमाऍं।

Ram Shiv Murti Yadav said...

रवाना हो चला है वक्त,
जनाज़े की तरह,
दे ज़रा वक़्त, के फिर से...
तुझे मिलना कह दूँ
...अतिसुन्दर प्रस्तुति, साधुवाद !! मेरे ''यदुकुल'' पर आपका स्वागत है....

Amit Kumar Yadav said...

''स्वामी विवेकानंद जयंती'' और ''युवा दिवस'' पर ''युवा'' की तरफ से आप सभी शुभचिंतकों को बधाई. बस यूँ ही लेखनी को धार देकर अपनी रचनाशीलता में अभिवृद्धि करते रहें.

Anonymous said...

thought & reality reflects

राजीव थेपड़ा ( भूतनाथ ) said...

kyaa baat kah dee aapne....vallaah.....!!

निर्मला कपिला said...

aapki sanvednayen dil me gehre tak utar jaati hai sanvedansheelta ki is intha ko kaise sahejti hain

Science Bloggers Association said...

खूबसूरत गीत, बधाई।

हरकीरत ' हीर' said...

Husne mallika Seema Gupta ji ko Tau rampuriya ji 'TAJ'mubarak ho....!

saraswatlok said...

बहुत अच्छी रचना है।

Science Bloggers Association said...

खूबसूरत ख्‍यालों की मधुरतम अभिव्‍यक्ति है यह कविता।

Science Bloggers Association said...

Ati sundar.

Science Bloggers Association said...

Ati sundar.

मुंहफट said...

दे ज़रा वक़्त, के फिर से...
तुझे मिलना कह दूँ
......सचमुच कितनी कशिश है.

वैसे सीमा जी कमेंट्स देखकर तो लगता है कि पूरी दुनिया इधर ही उमड़ी आ रही है. आपका ब्लॉग वाकई काबिले तारीफ है....

Prem Farukhabadi said...

dil se nikalte bhavon asar ka kahna hi kya.darta hoon kahin taareef jada n ho jaye.

Dev said...

Seema ji
Aap ki har kavita pyar ki ek paribhasha hai..
दे ज़रा वक़्त, के फिर से...
तुझे मिलना कह दूँ

I love deep feallings of this poem.
Regards

kumar Dheeraj said...

कब से खोजूँ तुझे,
गलियों में औ चौराहों पर,
तू जो मिल जाए, तेरे शहर...
को अपना कह दूँ
रवाना हो चला है वक्त,
जनाज़े की तरह,
क्या कहूं पूरी रचना में रोचकता ही रोचकता है । बधाई

Prakash Badal said...

बहुत ही सुन्दर अभिव्यक्ति सीमा जी

kumar Dheeraj said...

कहने को बहुत कुछ है लेकिन क्या कहू । आपने जो लिखा है बेमिसाल है धन्यवाद