Sunday, December 28, 2008

"तेरा ना होना"


"तेरा ना होना"

तेरा ना होना
सर्पदंश सा विषैला
सांसे भरता
"जीवित "
एक अभिशाप

35 comments:

निर्मला कपिला said...

It was wonderful to see your blog, specially the graphics is excellent.. I m learning right now...

Anonymous said...

चंद शब्दों में गहरी बात कह देती है आप!

P.N. Subramanian said...

यह तो महाकाव्य बन गया. लघु पर सुंदर.

Rakesh Kaushik said...

It is wonderful, specially the images is excellent.. I m wondring in your imaginated world right now...

ताऊ रामपुरिया said...

तेरा ना होना
सर्पदंश सा विषैला
सांसे भरता
"जीवित "
एक अभिशाप


एक अत्यन्त गहरी बात चंद लफ़्जो मे आपने कही ! मुझे तो लगता है सतसैया की आत्मा ने आपके रूप मे जन्म लिया है ! ऐसा मैं कई बार सोचता था पर आज यकीन हो गया !

राम राम !

Alpana Verma said...

थोड़े शब्दों में कह गयीं कई बातें..दर्द को समेटे हुए.

रंजू भाटिया said...

बहुत बढ़िया ..

Anil Pusadkar said...

वाह्।

Unknown said...

kuch alfaazoo main he aap sarai baat keh deti hain....bahut he accha hai....

नीरज गोस्वामी said...

चंद शब्द
और गहरी बात
बहुत सुंदर रचना...
नीरज

दिगम्बर नासवा said...

सीमा जी
दो लाइनों मैं इतनी गहरी बात शायद ही कहीं पढने को मिली हो
दिल के जज्बातों को इतनी आसानी से चाँद लाइनों मैं utaarna कोई आप से सीखे

dhiru singh { धीरेन्द्र वीर सिंह } said...

kamaal ka klaam

admin said...

देखन में छोटी लगे, पर घाव करे गम्‍भीर।

Anonymous said...

fearing thought

Anonymous said...

ओह !!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!
जैसे एक उच्छ्वास कई आर्तनाद से बड़ा हो गया हो .
या फ़िर वेदना झांक रही हो झरोखे से
करके पूरा श्रृंगार
या फिर पीड़ा स्वयं ही रूप धर आई है
शब्दों की .

मोहन वशिष्‍ठ said...

वा सीमा जी ये तो सर्दी में गर्मी का अहसास वाली बात हो गयी
थोडे में बहुत कुछ कह दिया आपने बधाई और नवभारत में आपकी कविता छपी उसके लिए भी बारम्‍बार बधाई

रश्मि प्रभा... said...

gahre arth hain is muktak me,
bahut hi achhi

राज भाटिय़ा said...

दो लाईनो मे पुरी दास्तान व्यान कर दी आप ने.
धन्यवाद

राजीव थेपड़ा ( भूतनाथ ) said...

ग्यारह शब्द......ग्यारह हज़ार दर्द....फिर भी मेरे मेरे दिल में तो यही आया कि बस इत्ती सी बात.....???

इरशाद अली said...

विषय नाजूक था, लेकिन आपने सहजता से ही बात को कह दिया।

Mukesh Garg said...

very nice seema ji, kiya baat hai ...

aapki har archna pyar or apne pan se avibhut hoti hai ...

itni bhawpuran mind blowing likhna har kisi ke bus ki baat nahi aap me jarur koi pavitr atma was karti hai....

sach me mein apke lekhan ka itna bada fan ho gaya hu ki kiya kahuu, dua hai aaap uu hi likhti rahe or lekhika ke roop me ek alag hi mukam banaye, sach me mein aapko akash se bhi ucchi bulandioo par dekhna chahata hu..

bahiaya savikar kare

manu said...

pahle to blog ki chkaachaundh me kho gayaa....
kafi der baad pdhne ka dhyaan aaya........

ayr bahut der baad likhne kaa hosh aayaa hai.......

hame bhi sikhyen blog sajaana
jab fursat ho tab aa jaana

बवाल said...

"तेरा न होना"
अहा ! आदरणीय सीमाजी,
कितनी बेह्तरीन बात, कितने दर्द समेटे हुए कैसे नाज़ुक अन्दाज़ से बयान कर दी आपने.

kumar Dheeraj said...

आपके लिए शब्द कितने अनमोल है ...कुछ शब्दों के खेल में ही गहराई तक पहुचं जाते है । बढ़िया

Asha Joglekar said...

कम शब्दों में गहरी बात । बहुत खूब ।

Prem Farukhabadi said...

jab apna koi door hota hai.
To tan man benoor hota hai.
dil ki baat hai, dard ki baat hai.
bahut hi bhav purn. badhaai ho.

Unknown said...

छोटी सी बात में बहुत बड़ी बात कह दी आपने.

अभिन्न said...

तेरा ना होना
सर्पदंश सा विषैला
सांसे भरता
"जीवित "
एक अभिशाप


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हर बात की एक हद होती है परन्तु आपकी कल्पना और रचनात्मकता की कोई सीमा नहीं है सीमा जी कहतें है न जहाँ न पहुंचे रवि वंहा पहुंचे कवि और मै तो ये भी कहूँगा की जहाँ न पहुंचे पाए कवि वहां जाकर सीमा जी की सोच एक नया और अद्भुत काव्य रच सकती है ओ भी कंजूसी के साथ शब्द जोड़ कर परंतु उसमे जो विचार प्रस्तुत किये जाते है वे बड़े से बड़े ग्रथ का विकल्प हो सकते है
इस ब्लॉग जगत में
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तेरा होना
बुलबुल सा मीठा
रोमांचित करता
सजीव
एक वरदान .

Science Bloggers Association said...

कम लफजों में बडी बात कहना सबके वश की बात नहीं। और आपको उसमें महारत हासिल है।

Sulabh Jaiswal "सुलभ" said...

आदरणीय हिंदी ब्लोगेर्स को होली की शुभकामनाएं और साथ में होली और हास्य
धन्यवाद.

admin said...

गागर में सागर।

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तस्‍लीम
साइंस ब्‍लॉगर्स असोसिएशन

डॉ. मनोज मिश्र said...

एक अभिशाप ....गहन भाव

Shama said...

Itnee lambi, diggajon kee qatar hai...mai ek adna-si wyakti kya likhun?
Alagse alfaaz nahee, isliye in sabheeke shaamil hun...sach hai, itne kam shabdon me itna kuchh keh gayeen aap...

प्रसन्नवदन चतुर्वेदी 'अनघ' said...

तेरा ना होना
सर्पदंश सा विषैला
सांसे भरता
"जीवित "
एक अभिशाप

"गागर मे सागर!"प्रेम की पराकाष्टा प्रदर्शित
करती बहुत ही सुन्दर भावपूर्ण रचना! क्या
कहना!आप का ब्लाग बहुत अच्छा लगा।

Harash Mahajan said...

waah bahoot hi sunder tareeke se byaan kiya hai aapne...merii janib se dili dad-d-mubarak haazir hai........


Harash Mahajan