Wednesday, September 3, 2008

"अपलक"

"अपलक"


बिना झपकाए मैं,
अपलक देखूं,
तुम को देखने की,
अपनी ललक देखूं

24 comments:

प्रदीप मानोरिया said...

आपके शेर के आगे एक और शेर जोड़ने की धृष्टता की है क्षमा सहित प्रस्तुत है
देखूं जो तेरी आँखों में तो ख़ुद का ही अक्स देखूं
बस गया हूँ दिलमें तेरे देखूं तो अपने ही ज़ज्बात देखूं
http://manoria.blogspot.com and http://kanjiswami.blog.co.in

श्रीकांत पाराशर said...

Seemaji, ek achha sher diya hai aapne pathkon ko. Dhanywad.

Anil Pusadkar said...

apke likhe par comments karne me ab kathinai hone lagi hai,roz ek saman tarif achhi nahi lagti,tarif ke liye naye naye shabd kahan se laun,fir wahi comment repeat kar raha hun......sunder

आलोक साहिल said...

ओह्ह! बहुत सुंदर.
कहाँ थीं सीमा जी आप?आपको बहुत महीनो बाद देखा?मेरी प्रिय कवियित्री को देखकर खुशी हुई.
आलोक सिंह "साहिल"

ताऊ रामपुरिया said...

"अपलक"
सुन्दरतम ! बेमिसाल !
आप ने आँखों की फोटो भी
बहुत सुंदर लगाई है ! नीली वाली
को तो मैं "अपलक" निहारे जा रहा हूँ !

Anonymous said...

lalak gar jo dikh jaaye dikha dena hame bhi
apki nigahe dikhti rang badalte mahsoos kiya hamne bhi

makrand said...

अति अर्थपूर्ण ! सुंदर ! धन्यवाद !

दीपक "तिवारी साहब" said...

फोटो, टाइटल और रचना !
तीनो का बेमिसाल संयोजन !
तिवारी साहब का नमन आपको

Rakesh Kaushik said...

aap har baar dil ko chu jati hai.

lekin ek kasak har baar chod jate hai, ise bda kar ke likhna tha. fir enough hai.

अभिन्न said...

आँखों से ओझल ना हो जाएँ,
मैं तब तलक देखूं,
आइना देखूं तो उसमे भी
तेरी झलक देखूं ........
आपके खूबसूरत शेर का स्वागत .......बहुत ही सुन्दर चक्षु चित्र

Rakesh Kaushik said...

बिना झपकाए मैं,
अपलक देखूं,
तुम को देखने की,
अपनी ललक देखूं


meshush karne chla tha aankho me chipe sapno ko,
lekin teri aankho me har pal apni hi jhlak dekhu.

jab chalne ko paas zamee tak nahi.
to ab kyon udne ke liye falak dekhu


Rakesh Kaushik

admin said...

कुछ कहके भी बहुत कुछ कह दिया।
और कुछ कहने को अब कुछ न रहा।

डॉ .अनुराग said...

bahut khoob....

नीरज गोस्वामी said...

अपलक पढ़े जाने वाली रचना...
नीरज

राज भाटिय़ा said...

क्या बात हे, अपलक
धन्यवाद

Anwar Qureshi said...

माशा अल्लाह ..

योगेन्द्र मौदगिल said...

कमाल है सीमा जी
वाकई
सौ सुनार की बजाय एक लुहार की ठोक दी आपने
वाह

Birds Watching Group said...

rang badalti duniya men aankhe kyo badli
nigaaho ka farz kya hua? shayad apalak rah gayi

Birds Watching Group said...

rang badalti duniya men aankhe kyo badli
nigaaho ka farz kya hua? shayad apalak rah gayi

'sakhi' 'faiyaz'allahabadi said...

yeh aankhen uff yeh umaan
yeh baaten uff ye umann

मोहन वशिष्‍ठ said...

काश कोई मुझे शब्‍द देता
करता मैं तारीफ किसी कि
ऊपर वाला भी करता है नाइंसाफी
किसी को दिया बहुत कुछ किसी को शब्‍दों की कंगाली

बेहतरीन रचना बधाई हो आपको सीमा जी

बवाल said...

Vo dekhne gaye honge kohe-toor tak tumko !
Main nazre-dil se hee tum talak dekhoon.

makrand said...

great photograph of eyes
regards

Mukesh Garg said...

bahut hi achhe


बिना झपकाए मैं,
अपलक देखूं,
तुम को देखने की,
अपनी ललक देखूं