"नयी"
"ज़िंदगी" हो तुम्हारे साथ नयी,
दिन नया हो हमारी रात नयी.....
दिन नया हो हमारी रात नयी.....
पिछली बातों को भूल जाएँ हम,
जब भी हो बात सारी बात नयी.......
अब न आयें वो दिन गुज़र जो गए,
हर घड़ी हो तुम्हारे साथ नयी........
हम पुराने रिवाज ठुकरादें,
सारे रिश्तों की सारी जात नयी ........
वो जो तुमसे है दिल लगा बैठा ,
तेरे घर लाएगा बारात नयी....
25 comments:
अच्छा लिखा है आप ने ..
vakai bhut badhiya. jari rhe.
very romantic poetry,
हम पुराने रिवाज ठुकरादें,
सारे रिश्तों की सारी जात नयी ........
a persona hidden within you comes out with above lines is a sign of rebel.
आज बिछने दो ज़िंदगी की बिसात,
न शह हो जहाँ ना मात नयी.....
very philosophical style.
carry on
Seema Ji,
Aisa lagta hai ki badlao to prakriti ka ek sthaapit niyam hai hee,.... aur waise har pal bhoot ko bhavishya se jodta hua kaalchakra ki atoot kadi nirmaan karta hai......aur yadi yeh apne mein nayapan rakhta ho to anubhav mein ek aakarshan avashya layega ...........adhiktar ...sukhad anubhav.
Navinta mein anubhav ka sukh nihit hai.AAp ne apnee kavita mein ise bahut badhiya sanjoya hai. Ismein navinta ki nayee sugandh hai....man ko shanti aur sukh dene waali.
Barat .....shadi ...jeevan ke teevratam sukhad anubhuti se parichit karaane wale padao hain.........aap ki kavita aakhiri panktiyon ney ise jaise sakar kar diya ho.
अति सुंदर...बहुत उम्दा.....
अद्भुत लिखा आपने.
बहुत खूब.
baitha hai laga ke dil tumse jo
layegaa baraat nayi
sunder hai, ise geet banaane ki koshish karen.
बहुत सुन्दर लिखा है। वाह
आज बिछने दो जिंदगी की बिसात...
बहुत खूब....
बहुत उम्दा, क्या बात है!आनन्द आ गया.
aapne kah di kuchh baat nayi...
wah wah
kya baat hai
achhi kavita
.
केवल एक शब्द... बेहतरीन !
hai ye peshi-e-khayalat nayi...khubsurat ghazal...
आज बिछने दो ज़िंदगी की बिसात,
न शह हो जहाँ ना मात नयी.....
बहुत खूब - खूबसूरत.
पिछली बातों को भूल जाएँ हम,
जब भी हो बात सारी बात नयी.......
यह पंक्तियाँ दिल में उतर गयीं..... पिछली बातों को भूलना ही सही होता है.... जब भी नई बात हो ..... बहुत सुंदर लगी आपकी यह रचना.....
Hats off to u.....
Regards.......
दिल बाग बाग हो गया
काश जीवन में ये शै और मात का खेल न होता तो ये जीवन कितना सुहाना होता ........... बहुत ही दिलकश लिखा है ....... अच्छा लगा पढ़ कर ........
हम पुराने रिवाज ठुकरादें,
सारे रिश्तों की सारी जात नयी
बहुत सुन्दर
आज बिछने दो ज़िंदगी की बिसात,
न शह हो जहाँ ना मात नयी
सीमाजी ज़िन्दगी के लिये ये बात बहुत अहम रखती है कि हम सब कुछ भुला कर नई ज़िन्दगी जीयें अगर ये समझ मे आ जाये तो जीवन सुन्दर हो जाये बहुत अच्छी रचना है बधाई
वाह ये हुयी ना कुछ बात नयी ! स्वागतम !सुस्वागतम!!
Behad sundar rachana!
आज बिछने दो ज़िंदगी की बिसात,
न शह हो जहाँ ना मात नयी.....
wah seema ji aaj beechne do jindgi ki beesat ..wah ..aapne sab kuch keh diya...jeevan mein her samay jindagi ki beesat nahi beechti ..aur jab beechati hai to usmena maat hoti hai na sah ...khubsurat chitran ...pyaar ke shikher per jo rista milta hai usme jo anubhav hota hai uska behtreen sabadankan ..badhai
पिछली बातों को भूल जाएँ हम,
जब भी हो बात सारी बात नयी......
बहुत खूब सीमाजी ।
आपकी बात छू गई दिल को
नये साल की ये बात नई ।
bahut sundar rachna...
★☆★☆★☆★☆★☆★☆★☆★
श्रेष्ठ सृजन प्रतियोगिता
★☆★☆★☆★☆★☆★☆★☆★
प्रत्येक रविवार प्रातः 10 बजे C.M. Quiz
★☆★☆★☆★☆★☆★☆★☆★
क्रियेटिव मंच
han bhi kuchh yaun hi sochte hai
chaliya yahaa
aadi aur khushi se mulaakaat kar li hai ....
great site. Keep doing
Post a Comment