Sunday, January 10, 2010

"नयी"







"नयी"

"ज़िंदगी" हो तुम्हारे साथ नयी,
दिन नया हो हमारी रात नयी.....

पिछली बातों को भूल जाएँ हम,
जब भी हो बात सारी बात नयी.......

अब न आयें वो दिन गुज़र जो गए,
हर घड़ी हो तुम्हारे साथ नयी........

हम पुराने रिवाज ठुकरादें,
सारे रिश्तों की सारी जात नयी ........


आज बिछने दो ज़िंदगी की बिसात,
न शह हो जहाँ ना मात नयी.....

वो जो तुमसे है दिल लगा बैठा ,
तेरे घर लाएगा बारात नयी....

25 comments:

Anwar Qureshi said...

अच्छा लिखा है आप ने ..

Advocate Rashmi saurana said...

vakai bhut badhiya. jari rhe.

अभिन्न said...

very romantic poetry,
हम पुराने रिवाज ठुकरादें,
सारे रिश्तों की सारी जात नयी ........
a persona hidden within you comes out with above lines is a sign of rebel.
आज बिछने दो ज़िंदगी की बिसात,
न शह हो जहाँ ना मात नयी.....

very philosophical style.
carry on

'sakhi' 'faiyaz'allahabadi said...

Seema Ji,
Aisa lagta hai ki badlao to prakriti ka ek sthaapit niyam hai hee,.... aur waise har pal bhoot ko bhavishya se jodta hua kaalchakra ki atoot kadi nirmaan karta hai......aur yadi yeh apne mein nayapan rakhta ho to anubhav mein ek aakarshan avashya layega ...........adhiktar ...sukhad anubhav.
Navinta mein anubhav ka sukh nihit hai.AAp ne apnee kavita mein ise bahut badhiya sanjoya hai. Ismein navinta ki nayee sugandh hai....man ko shanti aur sukh dene waali.
Barat .....shadi ...jeevan ke teevratam sukhad anubhuti se parichit karaane wale padao hain.........aap ki kavita aakhiri panktiyon ney ise jaise sakar kar diya ho.

बालकिशन said...

अति सुंदर...बहुत उम्दा.....
अद्भुत लिखा आपने.
बहुत खूब.

Anonymous said...

baitha hai laga ke dil tumse jo
layegaa baraat nayi

sunder hai, ise geet banaane ki koshish karen.

शोभा said...

बहुत सुन्दर लिखा है। वाह

डॉ .अनुराग said...

आज बिछने दो जिंदगी की बिसात...
बहुत खूब....

Udan Tashtari said...

बहुत उम्दा, क्या बात है!आनन्द आ गया.

Sumit Pratap Singh said...

aapne kah di kuchh baat nayi...

योगेन्द्र मौदगिल said...

wah wah
kya baat hai
achhi kavita

डा. अमर कुमार said...

.

केवल एक शब्द... बेहतरीन !

Shishir Shah said...

hai ye peshi-e-khayalat nayi...khubsurat ghazal...

Anonymous said...

आज बिछने दो ज़िंदगी की बिसात,
न शह हो जहाँ ना मात नयी.....
बहुत खूब - खूबसूरत.

डॉ. महफूज़ अली (Dr. Mahfooz Ali) said...

पिछली बातों को भूल जाएँ हम,
जब भी हो बात सारी बात नयी.......


यह पंक्तियाँ दिल में उतर गयीं..... पिछली बातों को भूलना ही सही होता है.... जब भी नई बात हो ..... बहुत सुंदर लगी आपकी यह रचना.....


Hats off to u.....

Regards.......

अजय कुमार said...

दिल बाग बाग हो गया

दिगम्बर नासवा said...

काश जीवन में ये शै और मात का खेल न होता तो ये जीवन कितना सुहाना होता ........... बहुत ही दिलकश लिखा है ....... अच्छा लगा पढ़ कर ........

निर्मला कपिला said...

हम पुराने रिवाज ठुकरादें,
सारे रिश्तों की सारी जात नयी
बहुत सुन्दर
आज बिछने दो ज़िंदगी की बिसात,
न शह हो जहाँ ना मात नयी
सीमाजी ज़िन्दगी के लिये ये बात बहुत अहम रखती है कि हम सब कुछ भुला कर नई ज़िन्दगी जीयें अगर ये समझ मे आ जाये तो जीवन सुन्दर हो जाये बहुत अच्छी रचना है बधाई

Arvind Mishra said...

वाह ये हुयी ना कुछ बात नयी ! स्वागतम !सुस्वागतम!!

kshama said...

Behad sundar rachana!

Unknown said...

आज बिछने दो ज़िंदगी की बिसात,
न शह हो जहाँ ना मात नयी.....
wah seema ji aaj beechne do jindgi ki beesat ..wah ..aapne sab kuch keh diya...jeevan mein her samay jindagi ki beesat nahi beechti ..aur jab beechati hai to usmena maat hoti hai na sah ...khubsurat chitran ...pyaar ke shikher per jo rista milta hai usme jo anubhav hota hai uska behtreen sabadankan ..badhai

Asha Joglekar said...

पिछली बातों को भूल जाएँ हम,
जब भी हो बात सारी बात नयी......
बहुत खूब सीमाजी ।

आपकी बात छू गई दिल को
नये साल की ये बात नई ।

Creative Manch said...

bahut sundar rachna...


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Anonymous said...

han bhi kuchh yaun hi sochte hai

chaliya yahaa
aadi aur khushi se mulaakaat kar li hai ....

Anonymous said...

great site. Keep doing