"अपनी तन्हाइयों की महफ़िल में
जाने किस से कलाम करती हूँ
वो भी अब भूलने लगा मुझको
मैं भी किस्सा तमाम करती हूँ "
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"Apni tanhaiyo'n ki mehfil mein
jane kisse kalaam karti hoon
Vo bhi ab bhoolne lagaa mujhko
mai bhi qissa taman karti hoon"
1 comment:
किस्सा तमाम करना तो सब्र का पैमान टूटना हो जायेगा?
नायब शेर, शुभकामनाएं.
रामराम.
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