"ना सताये कोई भी क़ेस को ,ना कभी हो लैला ही चश्म- ए - तर
"Na sataye koi bhi Qais ko,na kabhi ho Laila hi chashm- e- tar Na maray hi hijr men Heer ab,na ho koi Ranjha hi dar-ba-dar" "ना सताये कोई भी क़ेस को ,ना कभी हो लैला ही चश्म- ए - तर ना मरे ही हिज़्र में हीर अब ,ना हो कोई रांझा ही दरबदर" (seema)
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