Wednesday, September 11, 2013
ज़ाते - करीम उसकी है शायद वो बख्श दे
ज़ाते - करीम उसकी है शायद वो बख्श दे
वर्ना मिरे नसीब में बाग़े - इरम कहाँ
"Zaat e Kareem uski hai shayad woh baksh de
Varna mere naseeb mein Bagh -E -Eram kahan"
1 comment:
ताऊ रामपुरिया
said...
बहुत ही उम्दा, शुभकामनाएं.
रामराम.
September 11, 2013 at 9:15 PM
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बहुत ही उम्दा, शुभकामनाएं.
रामराम.
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