Friday, June 21, 2013
"बनके नासूर रिसा करती हैं यादें तेरी
"बनके नासूर रिसा करती हैं यादें तेरी ,
और कब तक दिले -बर्बाद को जलता देखूं"
"Ban Kay Nasoor risa karti hen yaden teari
Or Kab tak dil-e-burbaad ko jalta daekhon"
2 comments:
ताऊ रामपुरिया
said...
वाह, बहुत ही कमाल का शेर, शुभकामनाएं.
रामराम.
June 21, 2013 at 9:29 AM
प्रसन्नवदन चतुर्वेदी 'अनघ'
said...
सुन्दर प्रस्तुति....
June 30, 2013 at 5:51 PM
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वाह, बहुत ही कमाल का शेर, शुभकामनाएं.
रामराम.
सुन्दर प्रस्तुति....
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