Saturday, January 5, 2013

"मैं और तुम"

"मैं और तुम" 
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मुट्ठी भर किरणों की बारिश मै और तुम 
तुमसे मिलने की एक ख्वाइश मैं और तुम 
शबनम के ये कतरे फूल की पत्ती पर 
आब है अश्कों का ये मेरे मैं और तुम 
पानी पानी अब के भी है सारा कुछ 
रोते दिल और बहती आँखें मैं और तुम 
पारा पारा अब तो पूरा ज़ामा है 
एक उम्मीदों का दामन है मैं और तुम 
हंसते लब ये रोते दिल बस हैरानी 
बहते पानी की पलकों से मैं और तुम 
सीमा है बस ख़्वाब हैं पूरी दुनिया है 
ताबीरों पर पहरे पैहम मैं और तुम


"NAZM"
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Main Aur Tum
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Mutthi bhar kirno ki barish Main or tum
Tumse milne ki ek khwahish main or tum
Shabnam kay yeh qatray phol ki pati par
Aab hai ashkon ka yeh mere main aur tum
Pani pani ab kay bhi hai sara kuch
Rotay dil aur behti aankhen main aur tum
Paara paara ab tou pura jama hai
Ak ummeedo'n ka daman hai main aur tum
Hanstay lab yeh rotay dil bas hairani
Behtay pani kay palkon se main aur tum
Seema hai bas khawaab hein puri dunya hai
Taabero'n par pehray paeham main aur tum

4 comments:

अरुन अनन्त said...

वाह क्या बात लाजवाब नज़्म उम्दा अंदाज हार्दिक बधाई

Mukesh Garg said...

bahut badiya , isse jayada kuch kehne ko lafaj nhi hai mere pass.

ताऊ रामपुरिया said...

बहुत खूबसूरत नज्म. शुभकामनाएं.

रामराम.

Anonymous said...

वाकई एहसास दिला दिया।

मै और तुम, ने दरमियाँ हमारे होने का।

बधाई एक खूबसूरत एहसास जगाने की।