Monday, December 3, 2012

नज़्म

नज़्म 
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जान - ए -जहां , है तेरा ही ख्याल ,
तु मेरा शोक़ कहाँ ....
तेरा ,शोक़ -ए -तमाशा हूँ मैं 
मेरे ज़ब्त का मुदावा है तु.... 
दश्त -ए -दिल में , उतर आई है 
फ़िराक के लम्हों की रोनक है तु ...
जलवा - ए - बेक़रारी है ,
निगाह गाफ़िल है तुझसे ,
तुझ में मुझ में खुलता है ,
मजबूर तकाज़ा लेकिन ,
यही फर्क है की तु मेरा है ,
और मेरा "मैं "है तुझसे .....
यूँ तेरी याद में ,लरजती है 
मेरी भीगी शबों की जलन ,
और ,याद की धड़कती नब्ज़ 
से वाबस्ता ...
हर याद है तुझसे....

1 comment:

Mukesh Garg said...

har yaad hai tujhse bahut kuhb