नज़्म
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जान - ए -जहां , है तेरा ही ख्याल ,
तु मेरा शोक़ कहाँ ....
तेरा ,शोक़ -ए -तमाशा हूँ मैं
मेरे ज़ब्त का मुदावा है तु....
दश्त -ए -दिल में , उतर आई है
फ़िराक के लम्हों की रोनक है तु ...
जलवा - ए - बेक़रारी है ,
निगाह गाफ़िल है तुझसे ,
तुझ में मुझ में खुलता है ,
मजबूर तकाज़ा लेकिन ,
यही फर्क है की तु मेरा है ,
और मेरा "मैं "है तुझसे .....
यूँ तेरी याद में ,लरजती है
मेरी भीगी शबों की जलन ,
और ,याद की धड़कती नब्ज़
से वाबस्ता ...
हर याद है तुझसे....
1 comment:
har yaad hai tujhse bahut kuhb
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