"जूनून-ऐ-इश्क "
जूनून की बात निकली है तो मेरी बात भी सुन लो,
जूनून-ऐ-इश्क सच्चा है तो फिर हारा नहीं करता
मुक़द्दस है जगह वो क्यूंकि घर माशूक का है वो,
कोई मजनूँ कभी भी अपना दिल मारा नहीं करता
तजस्सुस यह के वोह बोलेगा सच या झूट बोलेगा
वो मजनू है और उसके दिल में ही है बसी लैला,
हर एक हूरे नज़र पर अपना दिल वारा नहीं करता
http://vangmaypatrika.blogspot.com/2008/09/blog-post_7453.html
28 comments:
क्या बात है? बहुत बढि़या
दीपक भारतदीप
जूनून में रह के कोई काम यह सारा नही करता
bahut khoob.....par ab kise fursat itni ki kais sa deevanapan laye.fikre duniya me uljh gaya hai in dino kais bhi..
कभी - कभी महका जाती हैं,
कभी - कभी बहका जाती हैं,
कभी अंधेरे सूने मन में,
दीपक बन कर आ जाती हैं,
कभी हंसातीं कभी रुलातीं,
आंसू बन कर आ जाती हैं,
जीने को जब लगे जरुरी,
धड़कन बन कर आ जाती हैं,
यादों का अब कौन भरोसा,
बिन चाहे भी आ जाती हैं।
aapke doosre blog par yaadon se sambandhit ek kavita padhi, shabd nahin mile comment ke liye isliye char line post kar di
बहुत अच्छे ! सुन्दरतम !
वो मजनू है और उसके दिल में ही है बसी लैला,
हर एक हूरे नज़र पर अपना दिल वारा नहीं करता
सिर्फ़ एक शब्द ... बेमिसाल !
wah,kya bat hai
सीमा जी ओरो का तो पता नही मॆ जब भी किसी काम को करना चाहता हु तो बस एक जनून सवार हो जाता हे, ओर जब तक काम पुरा ना हो मुझे ना नींद आती हे, ओर ना ही कुछ अच्छा लगता हे.
ओर मेरे बच्चो को भी यही आदत पड गई हे, अब इसे पागलपन कहे या इश्क...
आप की कविता बहुत ही अच्छी लगी.
धन्यवाद
thanks to all readers for sparing precious time n droping valuable comments suggestions n encouragement. With Regards
straight & attaking
see fights
बहुत बढि़या
जूनून में रह के कोई काम यह सारा नही करता
वो मजनू है और उसके दिल में ही है बसी लैला,
हर एक हूरे नज़र पर अपना दिल वारा नहीं करता
वाह जी वाह आज तो लगता है लैला मजनूं भी कैद कर दिए गए
बसती है लैला मजनूं के दिल में ही,
रहे कहां और लैला,
जगह मिलेगी ऐसी और कौन सी,
दिल पाना मजनूं सा कोई खेल नही।
वो मजनू है और उसके दिल में ही है बसी लैला,
हर एक हूरे नज़र पर अपना दिल वारा नहीं करता
long wait
regards
wah wah seema ji kiya kuhb likha hai,
वो मजनू है और उसके दिल में ही है बसी लैला,
हर एक हूरे नज़र पर अपना दिल वारा नहीं करता
इश्क के जुनूँ को क्या खूब गज़ल में ढाला है आपने ।
इश्क के जुनून को बहुत खूबसूरती से उकेरा है आपने।
एक रिक्वेस्ट है, कृपया फाँट साइज थोड़ा बडा कर लें, पढने में दिक्कत होती है।
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अपने ब्लॉग पर 8-10 विजि़टर्स हमेशा ऑनलाइन पाएँ।
well ranjeeta @ rishi kapoor at the haed of the post brought me in surprise
तजस्सुस यह के वोह बोलेगा सच या झूट बोलेगा
जूनून में रह के कोई काम यह सारा नही करता
.......दिल छू लेने वाला अंदाज है आपका सीमा जी!...'विरह के रंग' पुस्तक विमोचन के लिए बहुत बहुत बधाई!... मै यह पुस्तक जरुर पढूंगी!
जनूने इश्क भी क्या क्या नही करता
किसे ये बख्शता किस को फना नही करता\अपकी कलम् मे जादू ह। जनून तक भावों को समेटने का प्रयास बहुत अच्छा है। बधाई
यहाँ आकर तो बहुत अच्छा लगा....
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'पाखी की दुनिया' में आपका स्वागत है.
जूनून की बात निकली है तो मेरी बात भी सुन लो,
जूनून-ऐ-इश्क सच्चा है तो फिर हारा नहीं करता
मुक़द्दस है जगह वो क्यूंकि घर माशूक का है वो,
कोई मजनूँ कभी भी अपना दिल मारा नहीं करता
badi ppakeezgee k sath khenchi gayee tasveeretasavvurat hai --
behatar
सॉरी! मैं लेट हो गया.... ग़ज़ल रुपी यह पोस्ट बहुत अच्छी लगी....
रिगार्ड्स...
bahut khubsurat hi
u tube par aap ki kavita
http://healthgyancafe.blogspot.com
आप बहुत अच्छा लिखती हैं..बधाई.
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'पाखी की दुनिया' में 'लाल-लाल तुम बन जाओगे...'
क्या बात है बहुत सुन्दर पढ़ कर अच्छा लगा
bahut khoobsoorat likhaa hai...
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