
वो कुछ न कुछ तो छुपा रहा है
हंसी जो लब पर सजा रहा है
हंसी जो लब पर सजा रहा है
वो मेरे आँखों की प्यास बन कर
मुझी से नज़रें चुरा रहा है
उसे मैं अपना कहूँ तो कैसे
जो दिल पे नश्तर चला रहा है
मेरे ख्यालों की चांदनी में
वो चाँद बन कर समां रहा है
वो चाँद बन कर समां रहा है
मेरी वफ़ा पे यकीं नहीं है
जो मुझ से दमन छुड़ा रहा है
जो मेरी जुल्फों की छाँव में था
घटायें बनकर वो छ रहा है
जितना करती हूँ दूर उस को
वो पास उतना ही आ रहा है
ये चाँद सूरज ज़मीन
तारे
कोई तो इनको चला रहा है
रूठ जाएँगी सारी खुशियाँ
उदास हो कर वो जा रहा है
पनाह में ले ले उसको "सीमा"
बिछड के तुझ से जो जा रहा है
बिछड के तुझ से जो जा रहा है