
"अय्याम ने" 

मैं यहाँ बेचैन हूँ तुम वहाँ बेताब हो,
किस जगह लाकर मिलाया है हमें अय्याम ने...
हों कई ऐसे भी जो रहते रहे हो इस तरह,
और रुबाई हो लिखी कोई उमर खय्याम ने...
रात भर जागा किए हैं तेरी यादों के तुफैल,
कितने ख्वाबों को बुना है इस दिले नाकाम ने...
तेरे आने की ख़बर हैं दिल में जागी है उमंग,
कितने दीपक ला जला डाले हैं मेरी शाम ने...
याद करने को नहीं आता है दिल दुःख के वह दिन,
और क्यों तमको नहीं लिखा है मेरे नाम ने....
फिर भि फरमाइश किया है उसको मेरी जान ने,
और किया बदनाम दानी को है उसके काम ने...
अब तड़पता दिल है दानी का बहुत उसके लिये,
कह रहा है तुमसे आ जाओ अचानक मेरे सामने...