
तुम से कहनी हज़ार हैं बातें,
लफ्ज़ कुछ, मगर बेशुमार हैं बातें...
तुम जिगर में उतरती जाती हो,
जो लिखी हमने अश्कबार हैं बातें...
अब दूर तुमसे रहा भी नहीं जाता,
फिर वो ही पहलू -ऐ -यार हैं बातें...
राज-ऐ-दिल लिए भटकते हैं तुम बिन,
क्या करें इस कदर बेकरार हैं बातें...

http://www.sahityakunj.net/LEKHAK/S/SeemaGupta/baaten.htm