



"बात बनाऊं कैसे"
तुम अगर रूठ गयी हो तो मनाऊं कैसे,
बात जो मुझ से नही बनती बनाऊं कैसे..
इन्हीं फिकरों मैं मेरी रात कटी जाती है,
दिले-ऐ-बरबाद की तन्हाई हटाऊँ कैसे..
वो जो मिलता है सदियों में एक बार मुझे,
उसका हर बार ही इक वार बचौऊँ कैसे...
अपना दिल उसकी मोहब्बत में मैं हार चुका,
नक्श अनमिट हैं अब इनको मिटाऊँ कैसे...
नहीं अब फिर से नहीं यह नही होने दूँगा,
और तडपुं और पूछूं उसे पाऊँ कैसे...
वो जो आया है तो अब उसको नहीं जाने दूँगा,
लोग पूछेंगे के मैं उस से मिला हूँ कैसे???????
