Tuesday, April 21, 2009

"निगाहे-नाज़"


"निगाहे-नाज़"

बेज़ारी जान की थी या,
किसी गम की गीरफ्तारी थी,
अंधेरी रात मे भी,
" रोशन रूखे- यार देखा"
शायद ये निगाहे-नाज़ की,
" बीमारी थी"

(बेज़ारी - उदासीनता )
(रूखे- यार - प्रेमिका का चेहरा)
(निगाहे-नाज़ - चंचल आँख)

http://vangmaypatrika.blogspot.com/2008/09/blog-post_13.html

Tuesday, April 7, 2009

"गीत"

"गीत"


मैंने जो गीत तेरे प्यार की खातिर लिखे
आज दुनिया की नज़र उनका पता पाएगी,

किस तरह चाहा है पूजा है सराहा है तुम्हें
प्यार की दुनिया में तारीख लिखी जायेगी..
तेरे चेहरे की तमानत ये सदा देती है
प्यार खिलता है तो चेहरे से अयाँ होता है

कोई जब जन्मो के रिश्तों से बंधा होता है
उसका सम्बन्ध हर एक गाम बयाँ होता है..