Tuesday, August 26, 2008

मेरे पास





"मेरे पास"
रूह बेचैन है यूँ अब भी सनम मेरे पास,
तू अभी दूर है बस एक ही ग़म मेरे पास
रात दिन दिल से ये आवाज़ निकलती है के सुन
आ भी जा के है वक्त भी कम मेरे पास
तू जो आ जाए तो आ जाए मेरे दिल को करार,
दूर मुझसे है तू दुनिया के सितम मेरे पास
दिल में है मेरे उदासी, के है दुनिया में
कहकहे गूँज रहे आँख है नम मेरे पास"

Wednesday, August 13, 2008

मोहब्बत-या-रब




"मोहब्बत-या-रब"

हम ख़ुद अपनी तलाश में थे,

ज़बान पे कितने सवाल हैं अब ,

उन्ही सवालों की गर्दिशों मे,

न जाने कितने ख़याल हैं अब,

ना जाने क्यूं आत्मा छु गयी है ,

निगाह तुमने जो मुझपे डाली ,

जो दिल हमारा जगमगा गया है,

मोहब्बत-या-रब के कमाल हैं अब,

मेरी तरफ़ को जो आ रहे हैं,

उन रास्तों पर क़दम तो रखो ,

बिछा के रख देंगे रौशनी हम ,

तुम्हारे दानी मशाल हैं अब


Tuesday, August 12, 2008

इंतज़ार


"इंतज़ार"

अब भी उनके ख़त का हमें इंतज़ार रहता है,
अब भी दिल उनके लिए बेकरार रहता है
उनके कहने पर भी की उनको हम से नफरत है,
हम को न जाने क्यूँ उनसे ही प्यार रहता है

Saturday, August 9, 2008

आवारा

"आवारा"

मायूसियां थीं मेरे दिल में,
एक उदासी की तरह ,
जुस्तुजू में मैं तेरी,
होने लगा आवारा ;
चारा गर बन के,
तेरे प्यार ने हिम्मत बांधी,
राहबर हो के सियाह रात में,
तू ही है चमकता तारा ;
अब तेरी चाह में,
दिन रात रहा करता हूँ,
पहले यूँ रहा करता था
अब यूँ रहता हूँ आवारा

Thursday, August 7, 2008

सुखमय प्यार

"सुखमय प्यार "


कब से तुझे निहार रहा हूँ ,

चंचल सुंदर मुख मंडल ,

अपने से मैं हार रहा हूँ .....

यह वो ही तो दिन है

जब मैने मांग भरी तुम्हारी ,

गजरा ये सुख की बेला

मैं तब से तुम्हें पुकार रहा हूँ ,

आ जाओ अब चैन नहीं है

सुख देता दिन रैन नही है ,

जीवन सफल करो तुम आ कर

कह दूँगा साकार रहा हूँ ,

मैं तेरा जन्म जन्म का प्रेमी

तेरा सुखमय प्यार रहा हूँ ..."

Saturday, August 2, 2008

"जिदगी भर यही सोचता रह गया"












"जिदगी भर यही सोचता रह गया"

मुझसे मुंह मोड़ कर तुम को जाते हुए,
मूक दर्शक बना देखता रह गया ,
क्या मिला था तुम्हें दिल मेरा तोड़ कर,
जिंदगी भर यही सोचता रह गया ???

भूलने के लिये तुमको हम ने जतन,
क्या नहीं हैं किये ए जान-ऐ-मन,
उतने ही याद आये हो तुम रात दिन,
अपनी यादों से मैं जूझता रह गया???

रास्ता जब बनी रास्ते की गली,
मैं जो गुजरा कभी धडकने बढ़ गयी,
एक खिड़की खुली और तुम्हें देख कर,
मैं जहाँ पर खडा था खडा रह गया???

"जिदगी भर यही सोचता रह गया"






http://swargvibha.freezoka.com/kavita/all%20kavita/Seema%20Gupta/zindagi%20bhar%20yahe%20sochata%20rah%20gaya.htm (http://www.swargvibha.tk/)
http://www.sahityakunj.net/LEKHAK/S/SeemaGupta/zindgi_bhar_yahi_sochata_rah.htm

Friday, August 1, 2008

तेरी अंजुमन में आ के



"तेरी अंजुमन में आ के"

तुमने तसल्ली पा ली थोडी देर बात कर के,
मेरी तिशनगी बढा दी, ये ज़रा सा साथ कर के ....

कभी वह भी दिन तो आए, तेरे सामने मैं बैठूं ,
यूँ ही साथ साथ चलते, यूँ ही सारी बात कर के ....

हुआ मैं नसीब वाला, तेरी अंजुमन में आ के,
मेरे दर्द-ऐ-दास्ताँ को, है सुना समात कर के....

तेरी जीत में है पिन्हा मेरी जिंदिगी की खुशियाँ
मेरी जिदिगी बढ़ा दी मुझे ख़ुद से मात कर के ....

तुझे ढूंढता था पहले तुझे मांगता है अब भी,
मेरा दिल कहाँ गया है मुझे बे-सबात कर के.....

तेरे आने की ख़बर है मेरे दिल के रास्तों पर,
कहीं चोट लग न जाए ज़रा एहतिआत कर के......