"आवारा"मायूसियां थीं मेरे दिल में,
एक उदासी की तरह ,
जुस्तुजू में मैं तेरी,
होने लगा आवारा ;
चारा गर बन के,
तेरे प्यार ने हिम्मत बांधी,
राहबर हो के सियाह रात में,
तू ही है चमकता तारा ;
अब तेरी चाह में,
दिन रात रहा करता हूँ,
पहले यूँ रहा करता था
अब यूँ रहता हूँ आवारा
17 comments:
Seemaji ,
Beutiful, wonderful,................LEKHNI and DEKHNI both ................hats off to u . ..what a tremenous creativity you have...............
............aap ki taareef kin shabdon mein karoon............i am speechless..................
'shubhchintak'
बहुत उम्दा....
बेहतरीन.....
कायल हो गया हूँ.
rahbar ho kr tu siyah, raat me tu hai taara. sunder
एक उदासी की तरह
जुस्तुजू में मैं तेरी
होने लगा आवारा
वाह क्या खूब, सुंदर...अति उत्तम।।।।
awraa kyun na hota bechara
justju jo thi us maayus ko
जिस खूबसूरती से आप अपनी रचना सुनाती हैं वो सिर्फ़ और सिर्फ़ आप के बस की ही बात है...एक के बाद एक..झरने सी कल कल तरह बहती हुई रचनाएँ हमें भिगो देती हैं बहा ले जाती हैं अपने साथ एहसास की वादियों में...
नीरज
बेहतरीन रचना के लिए शब्द नही...
मेरे पास तो शब्द ही नहीं हे बस यही कहूंगा कि बेहतरीन रचना के लिए बधाई
बहुत बढ़िया लिखा है। बधाई स्वीकारें।
आपकी कलम नें बेहतरीन शब्दों और भावों को पिरोया है ।
हमें आपसे ऐसे ही बेहतरीन रचनाओं की अपेक्षा रहेगी । लिखती रहें .........
bahut khub
bahut khoob.....justu me mai teri hone laga.....
ye bahut achha laga.....
क्या बात है.. सीमा जी..
मैं अभिभूत हूं, आपके क़लाम से..
कमाल...............
बहुत बढ़िया..............
सच मानियेगा मुझे शब्द नहीं सूझ रहे....
बहुत उम्दा.
Seemaji
Very nice poem.
Plz likhti rahiye.
-Harshad Jangla
Atlanta, USA
सीमा जी आप इतने विचारों के साथ नित नई नई रचनाये कैसे कर लेती है. आप और भी सुंदर लिखे इसके लिए मेरी शुभकामनायें.
beutiful very nice har bar ki trha ek or kuhb surat rachna .
firse dher saari badhiya
Post a Comment